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सांसद व विधायक जी जरा देखिए कैसा है चंदौली जिले में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का हाल

tds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_show चंदौली जिले में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की हालत देख उससे किसानों का मोहभंग होता जा रहा है। ऐसी चर्चा है कि चंदौली जिले में किसान क्रेडिट कार्ड योजना का लाभ लेने वाले जिले के करीब 2500 किसानों ने योजना का लाभ न लेने के लिए बैंकों में प्रार्थना पत्र दिया है। दरअसल, हर साल
 
सांसद व विधायक जी जरा देखिए कैसा है चंदौली जिले में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का हाल

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चंदौली जिले में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की हालत देख उससे किसानों का मोहभंग होता जा रहा है। ऐसी चर्चा है कि चंदौली जिले में किसान क्रेडिट कार्ड योजना का लाभ लेने वाले जिले के करीब 2500 किसानों ने योजना का लाभ न लेने के लिए बैंकों में प्रार्थना पत्र दिया है।

दरअसल, हर साल प्रीमियम भरते-भरते किसान कंगाल हो रहे हैं, जबकि बीमा कंपनियां दिन पर दिन मालामाल हो रही हैं। मौसम के प्रतिकूल प्रकोप के चलते फसल की बर्बादी पर किसानों को सही ढंग से क्षतिपूर्ति नहीं मिलती है।

सांसद व विधायक जी जरा देखिए कैसा है चंदौली जिले में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का हाल

पिछले वर्ष दिसंबर माह में बारिश के चलते चंदौली जिले में कई किसानों की लगभग 50 फीसदी फसल बर्बाद हो गई थी और बीमा कंपनी ने चंद किसानों को क्षतिपूर्ति देकर पल्ला झाड़ लिया था। इससे किसान योजना पर सवाल खड़े करने लगे हैं और बैंकों में प्रार्थना पत्र देकर सरकारी योजनाओं की हकीकत बताने की पहल की है।

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आपको बता दें कि किसान क्रेडिट कार्ड का लाभ लेने वाले किसानों की फसल का बीमा स्वत: हो जाता है। उनके खाते से प्रीमियम भी बिना बताए ही कट जाता है। बैंक प्रशासन की ओर से निर्धारित प्रीमियम राशि की कटौती कर बीमा कंपनी के खाते में भेज दी जाती है। अधिकांश किसानों को इसकी जानकारी भी नहीं होती है। सरकार ने इस बार किसानों की स्वेच्छा से फसल बीमा योजना का लाभ देने का प्रविधान किया है।

केंद्र सरकार ने प्राकृतिक आपदा से फसल बर्बादी के बदले किसानों को क्षतिपूर्ति दिलाने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की शुरूआत की थी। इसमें कई निजी बीमा कंपनियां लगी हुई हैं। किसानों ने शुरूआत में योजना में इस उम्मीद से दिलचस्पी दिखाई थी कि उनकी गाढ़ी कमाई बर्बाद होने पर बीमा कंपनी मददगार बनेगी। लेकिन निजी बीमा कंपनियां किसानों की उम्मीदों पर पानी फेरने का काम कर रही हैं।

ऐसे मिला चंदौली में बीमा का लाभ

खरीफ सत्र में 16 हजार किसानों ने फसल बीमा कराया था। जबकि 2019 में खरीफ व 2020 रबी सत्र में जिले में 30 हजार किसानों ने फसलों का बीमा कराया था। गत वर्ष दिसंबर माह में जिले में बारिश हुई थी। इससे किसानों की खेत व खलिहान में पड़ी धान की फसल पानी में डूब गई। वहीं कई दिनों तक लगातार मौसम खराब होने की वजह से खून-पसीने की कमाई बर्बाद हो गई थी। बीमा कंपनी और कृषि विभाग की टीम ने सर्वे किया। 30 हजार किसानों में महज 1.16 करोड़ रुपये क्षतिपूर्ति का वितरण किया गया। इस तरह से देखा जाए तो प्रत्येक किसान के खाते में लगभग पांच हजार रुपये आए जबकि लाखों रुपये लागत व अपना खून-पसीना एक कर किसानों ने फसल उगाई थी।

अब बैंक वाले इस समस्या को सुलझाकर लाभ देने के बजाय इस तरह की दलील दे रहे हैं। लीड बैंक के मैनेजर पीके झा का कहना है कि चंदौली जिले में करीब 2500 किसानों ने फसल बीमा योजना का लाभ न लेने के लिए बैंकों में प्रार्थना पत्र दिया है। उनके केसीसी (किसान क्रेडिट कार्ड) खाते से प्रीमियम की कटौती नहीं की जाएगी। किसानों की इच्छा से ही फसल बीमा योजना से लाभान्वित किया जाएगा।

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