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राविसपा का गठन करके युवाओं को राजनीती से जोड़ना चाहते हैं प्रोफेसर विश्वनाथ मौर्य

tds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_show भारतीय राजनीति की विडम्बना रही है कि शुरू से ही उच्च शिक्षित और अच्छी छवि वाले नेताओं का अभाव रहा है जिससे शासन – सत्ता में उच्च शिक्षित व्यक्तियों की तादात सदैव कम रही है। भिन्न-भिन्न राज्यों के मुख्यमंत्री से लेकर देश के प्रधानमंत्री की सूची में उच्च शिक्षित लोग नगण्य ही रहे हैं। गौरतलब
 
राविसपा का गठन करके युवाओं को राजनीती से जोड़ना चाहते हैं प्रोफेसर विश्वनाथ मौर्य

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भारतीय राजनीति की विडम्बना रही है कि शुरू से ही उच्च शिक्षित और अच्छी छवि वाले नेताओं का अभाव रहा है जिससे शासन – सत्ता में उच्च शिक्षित व्यक्तियों की तादात सदैव कम रही है। भिन्न-भिन्न राज्यों के मुख्यमंत्री से लेकर देश के प्रधानमंत्री की सूची में उच्च शिक्षित लोग नगण्य ही रहे हैं। गौरतलब है कि भारत की आजादी के 74 वर्ष के अवधि में बड़े मुश्किल से अभी तक इस देश को डॉ. मनमोहन सिंह जैसा उच्च शिक्षित और अनुभवी प्रधानमंत्री मिल सका जिन्होने अपने वित्तमंत्री और प्रधानमंत्री के शासनकाल में देश की अर्थव्यवस्था को सुधारने में महत्वपूर्ण योगदान दिया और वर्तमान में पीएम नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा सरकार में लगातार जीडीपी के गिरावट से – 23.9 पर पहुँचने पर आर्थिक संकट से उबारने के लिए पुनः पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह को एक नजीर के रूप में याद किया जा रहा है।

वस्तुतः देश की आजादी के समय विशेषकर बहुसंख्यक समाज के अत्यंत पिछड़े होने की दयनीय स्थिति को दृष्टिगत रखते हुए भारत रत्न डॉ. भीमराव अंबेडकर ने अपने द्वारा निर्मित भारतीय संविधान में राजनीति में प्रतिनिधित्व के लिए शिक्षा को अनिवार्य रूप से शामिल नहीं किया जिससे राजनीति में गैर पढ़ेलिखे लोगों की ही जमात रही है और, वे केन्द्र या राज्य की सत्ता में प्रभुत्व में रहकर शिक्षा और गुणवत्ता की उपेक्षा ही करते रहे हैं। वास्तव में उनकी अशिक्षा, अयोग्यता और अदूरदर्शिता के चलते राजनीति में विकृति चर्म सीमा पर पहुंच गयी है। केंद्र में कांग्रेस, जनता पार्टी, जनता दल और भाजपा की सरकारें कई बार सत्तारूढ़ हुईं किंतु किसी भी सरकार ने संविधान में इस दिशा में संशोधन करने पर कोई ठोस पहल ही नहीं किया जिससे भारतीय राजनीति का स्वरूप अप्रत्याशित रूप से निरंतर बद से बदतर होता गया। विशेषकर शिक्षा क्षेत्र में गुणवत्ता पर ध्यान न दिए जाने और तीब्रगति से बढ़ते भ्रष्टाचार के कारण निरंतर गिरावट दिखायी दे रहा है जिसकी परिणति यह है कि देश के सर्वोच्च पदों पर ऎसे गैर पढ़ेलिखे लोगों के आसीन होने और उनके द्वारा सही दिशा- दृष्टि न मिल पाने से हमारा देश न केवल शिक्षा क्षेत्र बल्कि न्याय और अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में भी लगातार गर्त की ओर बढ़ रहा है।

देश में केन्द्र एवं राज्य सरकार द्वारा पोषित सैकड़ों विश्वविद्यालय होने के बावजूद भी विश्व के टॉप 100 विश्वविद्यालयों में उनमें से किसी का भी नाम नहीं है जो चिंताजनक है। ऎसे में लोकतन्त्र और राजनीति में भिन्न-भिन्न विकृतियों और विसंगतियों के साथ अपराधीकरण को भी तीब्रगति से बढ़ावा मिल रहा है। अपराधी छवि वाले राजनेताओं के बढ़ते वर्चस्व से किसी भी समाज का शिक्षित व्यक्ति चाहते हुए भी राजनीति में प्रवेश नहीं करना चाहता है क्योंकि वास्तव में वह योग्य होते हुए भी विकृत राजनैतिक माहौल में स्वयं को अयोग्य, असफल और असुरक्षित महसूस करता है। और, यदि कोई उच्च शिक्षित व्यक्ति यदाकदा राजनीति के क्षेत्र में प्रवेश करने का साहसिक कदम उठाता भी है तो भ्रष्ट लोगों के द्वारा प्रोत्साहन के वजाय हतोत्साहित करके उसका मनोबल कमजोर करने का भरसक प्रयास किया जाता है जिससे प्रतिद्वंदी के रूप में वह आगे ही न बढ बढ़ सके।

आज हम बात करते हैं ऎसे उच्च शिक्षित, अनुभवी और साहसी व्यक्ति की जिन्होने अपने योग्यता, गुणवत्ता और उत्कृष्ट शोधकार्य से शिक्षा जगत में उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल करने के बाद तथाकथित सभी चुनौतियों का सामना करते हुए राजनीति में प्रवेश कर अपने महत्वपूर्ण बयानों, विचारों, खबरों और लेखों के चलते अच्छी छवि के लिए जाने-माने जाते हैं। आपको बता दें कि वह कोई और नहीं बल्कि उप्र में बस्ती जिले के मूल निवासी प्रोफेसर डॉ. विश्व नाथ मौर्य हैं जो कालांतर में विगत कई वर्षों से लखनऊ में स्थायी रूप से निवास करने लगे हैं जिन्होंने गणित एवं सांख्यिकी विषय में एम. एस-सी, पी-एच.डी., डी. एस-सी के साथ कैलिफोर्निया (यूएसए) से एमबीए करने के उपरांत देश – विदेश के कई प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों और तकनीकी संस्थानों में में प्रोफेसर, विभागाध्यक्ष, परीक्षा नियंत्रक, डीन और डायरेक्टर के पद पर सेवा किया है। उप्र प्राविधिक विश्वविद्यालय लखनऊ और राजस्थान टेक्निकल यूनिवर्सिटी से संबद्ध दो इंजीनियरिंग इंस्टीट्यूट में डायरेक्टर/प्रिंसिपल रहने के बाद डॉ. विश्व नाथ मौर्य को कई विदेशी विश्वविद्यालयों से प्रोफेसर, विभागाध्यक्ष और डीन के लिए ऑफर किया गया जिसमें मुख्यतः आस्ट्रेलिया महाद्वीप में स्थित फिजी विश्वविद्यालय, फिजी, अफ्रीका महाद्वीप में स्थित कॉपरस्टोन विश्वविद्यालय, किटवे (जाम्बिया, साउथ अफ्रीका) और एशिया महाद्वीप में स्थित सऊदी इलेक्ट्रॉनिक विश्वविद्यालय (सऊदी अरब) हैं।

इस प्रकार उच्च शिक्षा प्राप्त कर प्रो. मौर्य ने सन् 1996 से 2018 की अवधि में 22 वर्षों तक देश – विदेश के कई विश्वविद्यालयों एवं उच्च शिक्षण तकनीकी संस्थानों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इतना ही नहीं, उन्होंने अपनी कई पुस्तकें और सैकड़ों शोधपत्र विश्व के यूके, यूएसए, फ्रांस, जर्मनी, जापान, न्यूजीलैंड, मलेशिया, आस्ट्रिया, इटली, इंडिया, अल्जीरिया, नाइजीरिया इत्यादि कई विकसित और विकासशील देशों के प्रतिष्ठित जर्नल में न केवल प्रकाशित किया बल्कि उनमें से दर्जनों जर्नल के एडिटर – इन चीफ और चीफ गेस्ट एडिटर भी रहे। भिन्न-भिन्न अन्तराष्ट्रीय सम्मेलनों में स्पीकर, एडवाइजरी और रिसर्च कमेटी के मेंबर के रूप में सक्रिय भूमिका निभाया। प्रो. मौर्य के निर्देशन में कई छात्रों ने पी-एच.डी. करके भिन्न-भिन्न सरकारी एवं निजी विश्वविद्यालयों में प्रोफेसर भी हैं। बता दें कि उनके ही निर्देशन में 2012 में पी-एच. डी करके हरियाणा के कैथल निवासी डॉ. राजेन्द्र कुमार बटला वर्तमान में राजस्थान के एक निजी विश्वविद्यालय में प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष के रूप में सेवारत हैं। प्रो. मौर्य को अपने गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, योग्यता और उत्कृष्ट शोधकार्य के लिए दर्जनों राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है। प्रो. मौर्य को इसी वर्ष फरवरी में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ओरिएंटल हेरिटेज कोलकाता द्वारा आयोजित अन्तराष्ट्रीय सम्मेलन में भारत गौरव, राष्ट्रीय शिक्षा रत्न और डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम एक्सीलेंस अवार्ड से भी नवाजा गया है।

गौरतलब है कि शिक्षा जगत में अपने उल्लेखनीय योगदान के उपरान्त विगत दो वर्ष से प्रो. विश्व नाथ मौर्य राजनीति के क्षेत्र में अपनी सक्रिय भूमिका निभाते हुए अच्छी छवि वाले राजनेताओं में अपनी पहचान बना रहे हैं और राष्ट्रसेवा के प्रति पूर्णतः समर्पित हैं। प्रो. विश्व नाथ मौर्य के नेतृत्व में पिछड़े – दलित – शोषित वर्ग के हक व अधिकार दिलाने के लिए राष्ट्रीय विकासवादी समता पार्टी (राविसपा) का गठन किया जाना भारतीय राजनीति में एक मिसाल है जो विशेषकर बहुसंख्यक समाज के लोगों पर हो रहे अन्याय और अत्याचार के खिलाफ निरंतर संघर्षरत है। ध्यातव्य हो कि जहाँ वर्तमान भाजपा सरकार में पंचायत चुनाव को लेकर उम्मीदवारों के लिए कम से कम आठवीं कक्षा पास होने पर चर्चा चल रही हो वहीं इसके दूरगामी परिणाम को देखते हुए राविसपा में प्रो. मौर्य के नेतृत्व में शुरू से ही पदाधिकारियों और प्रत्याशियों के लिए शिक्षा, योग्यता और गुणवत्ता पर विशेष ध्यान दिया गया है। यही कारण है कि राविसपा के सभी संगठन पदाधिकारीगण उच्च शिक्षित और अनुशासित हैं, उनमें से अधिकांश लोग मूल रूप से इंजीनियर, डाक्टर और प्रोफेसर के पेशे से जुड़े हुए हैं। राजनीति में उनके सक्रिय योगदान से निकट भविष्य में अभूतपूर्व परिवर्तन की प्रबल सम्भावना है।

राविसपा का मुख्य लक्ष्य सत्ता परिवर्तन ही नहीं अपितु नयी दिशा – दृष्टि के साथ धर्मनिरपेक्षता, समता, समानता, मानवता, बंधुता और विज्ञानवादिता को अपनाकर अभूतपूर्व व्यवस्था परिवर्तन भी है जिसके लिए वह सतत् प्रयत्नशील है। राविसपा के संस्थापक एवं अध्यक्ष प्रो. मौर्य शिक्षित युवा पीढ़ी को देश का कर्णधार मानते हुए उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। उनका दृढ़ विश्वास है कि कुशल नेतृत्व में शिक्षित युवा पीढ़ी अपने सक्रिय योगदान से देश को विकास की दिशा में नयी गति प्रदान कर सकता है।

शिक्षा और राजनीति क्षेत्र से जुड़े युवा वर्ग को प्रो. मौर्य से प्रेरित और प्रोत्साहित होकर आगे बढ़ना चाहिए। प्रो. मौर्य के सोच और चिंतन के अनुसार यह देश का दुर्भाग्य ही है कि आजादी के बाद सत्ता परिवर्तन तो कई बार हुआ किंतु इसके बावजूद भी सत्ता में सामंतवादियों के वर्चस्व होने के कारण अपेक्षित रूप से व्यवस्था परिवर्तन कभी नहीं हुआ बल्कि नित्य – निरन्तर बहुसंख्यक समाज के लोगों के साथ जातिगत और धर्मगत भेदभाव के आधार पर सौतेला व्यवहार किया गया। उन्हें उनके हक व अधिकारों से हमेशा वंचित रखा गया। मुख्य रूप से सामंतवादी विचारधारा के कांग्रेस और भाजपा के लम्बे अवधि के शासनकाल में उनका भरपूर शोषण और उत्पीड़न किया गया है जो भारत के लोकतांत्रिक व्यवस्था में कदापि न्यायसंगत नहीं है। अतएव जनहित में सत्ता परिवर्तन के साथ व्यवस्था परिवर्तन में भी अपेक्षित सुधार किया जाना अत्यंत आवश्यक है।

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