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सर्दियों में छींक और साइनस से हैं परेशान तो अपनाएं ये 5 आयुर्वेदिक उपाय और पाएं तुरंत आराम

सर्दियों में बार-बार आने वाली छींकें केवल सामान्य जुकाम नहीं बल्कि नाक की एलर्जी और साइनस का संकेत हो सकती हैं। जानें क्यों शुष्क हवा और प्रदूषण आपके फेफड़ों को नुकसान पहुँचा रहे हैं और कैसे घरेलू उपायों से आप इस संक्रमण से बच सकते हैं।
 

बार-बार छींक आना एलर्जी का लक्षण

सर्द हवाओं से बढ़ती साइनस की समस्या

नाक की नमी बनाए रखने के उपाय

आयुर्वेदिक तरीके से दूर करें नाक का संक्रमण

अक्सर लोग बार-बार आने वाली छींक को सामान्य सर्दी या जुकाम मानकर नजरअंदाज कर देते हैं, लेकिन स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार यह धारणा गलत हो सकती है। यदि छींकें लगातार और बार-बार आ रही हैं, तो यह शरीर में किसी विशेष एलर्जी का संकेत होता है। जब यह समस्या बढ़ जाती है, तो यह केवल छींकों तक सीमित नहीं रहती, बल्कि गंभीर सिरदर्द और साइनस जैसी समस्याओं को भी जन्म दे सकती है। इसलिए यह समझना आवश्यक है कि हर छींक जुकाम नहीं होती; यह बाहरी धूल, प्रदूषण या शुष्क हवा के प्रति शरीर की एक तीव्र प्रतिक्रिया भी हो सकती है।

 Repeated sneezing allergy symptoms
बार-बार छींक आने की कांसेप्ट फोटो

सर्दियों में बढ़ती नाक और फेफड़ों की समस्या
सर्दियों के मौसम में हवा अत्यंत शुष्क हो जाती है, जिसके कारण नाक के भीतरी मार्ग अपनी प्राकृतिक नमी खो देते हैं। नमी कम होने से सांस लेने में कठिनाई महसूस होती है, जो आगे चलकर श्वसन तंत्र में संक्रमण का मुख्य कारण बनती है। इसके साथ ही, हवा में मौजूद सूक्ष्म प्रदूषक कण नाक और फेफड़ों में पहुँचकर संक्रमण फैलाते हैं। जब ठंडी और शुष्क हवा सीधे नाक के भीतर टकराती है, तो इससे भीतरी झिल्ली में जलन या इरिटेशन पैदा होती है। इसके परिणामस्वरूप आंखों और नाक से पानी बहना, नाक में खुजली और आंखों में जलन जैसे लक्षण दिखाई देने लगते हैं।

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बार-बार छींक आने की समस्या का करें उपचार

साइनस और कफ की गंभीर स्थिति
एलर्जी की समस्या रात के समय अक्सर और अधिक बढ़ जाती है, जिससे व्यक्ति की नींद बाधित होती है। धुएं या तीव्र गंध के संपर्क में आते ही छींकों का दौर शुरू हो जाता है और धीरे-धीरे सीने में कफ जमा होने लगता है। कफ जमने की वजह से सांस लेने में तकलीफ बढ़ती है और साइनस के मार्ग अवरुद्ध हो सकते हैं। यदि समय रहते इन लक्षणों पर ध्यान न दिया जाए, तो यह पुरानी साइनस की बीमारी का रूप ले सकती है। आयुर्वेद में इस स्थिति को वातावरण और शरीर के असंतुलन से जोड़कर देखा जाता है, जिसका उपचार जीवनशैली में बदलाव करके संभव है।

बचाव के सरल और प्रभावी आयुर्वेदिक उपाय
इन परेशानियों से सुरक्षित रहने के लिए कुछ सरल घरेलू और आयुर्वेदिक तरीके बेहद कारगर साबित होते हैं। सबसे पहले, बाहर निकलते समय अपनी नाक को हमेशा साफ कपड़े या मास्क से ढककर रखें ताकि सीधी सर्द हवा नाक के संपर्क में न आए। ठंडे पानी के सेवन से पूरी तरह परहेज करें और सुबह-शाम नियमित रूप से गर्म पानी की भाप लें। भाप लेने से नाक के छिद्रों में नमी बनी रहती है और इरिटेशन कम होती है। इसके अलावा, रात को सोते समय नाक के दोनों छिद्रों में दो बूंद अणु तेल या तिल का तेल डालना चाहिए, जिससे संक्रमण का खतरा कम होता है।

आहार और जीवनशैली में सुधार
आहार में बदलाव भी एलर्जी से लड़ने में बड़ी भूमिका निभाता है। रात के समय हल्दी वाले दूध का सेवन शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है और शरीर को अंदरूनी गर्माहट प्रदान करता है। इसके साथ ही, रोजाना कुछ समय धूप में बैठने से शरीर को प्राकृतिक विटामिन-डी मिलता है। विटामिन-सी से भरपूर खट्टे फलों का सेवन करें, जो संक्रमण से लड़ने में सहायक होते हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि अपने घर और नाक के आसपास साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें ताकि धूल के कण आपकी एलर्जी को और न बढ़ा सकें।


 

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