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आपदा को ऐसे अवसर बनाते हैं DPRO के मातहत, ऐसे चल रही है ‘घोटाले’ की जांच…!

tds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_show कोरोना के इस दौर में कई लोग आपदा को अवसर बनाने के सुनहरे मौके से चूकने वाले नहीं हैं। करोना के इस दौर में भी भ्रष्टाचारी अफसर भ्रष्टाचार करने का एक भी मौका गंवाना नहीं चाहते हैं। हालांकि मीडिया की सुर्खियां बनने के बाद जांच के नाम इस तरह की कार्रयावई की जा रही है।
 
आपदा को ऐसे अवसर बनाते हैं DPRO के मातहत, ऐसे चल रही है ‘घोटाले’ की जांच…!

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कोरोना के इस दौर में कई लोग आपदा को अवसर बनाने के सुनहरे मौके से चूकने वाले नहीं हैं। करोना के इस दौर में भी भ्रष्टाचारी अफसर भ्रष्टाचार करने का एक भी मौका गंवाना नहीं चाहते हैं। हालांकि मीडिया की सुर्खियां बनने के बाद जांच के नाम इस तरह की कार्रयावई की जा रही है।

कोरोना के लिए खरीदे जाने वाले उपकरण हों या बांटे जाने वाले मास्क या फिर अन्य प्रकार की सामग्री। सभी कुछ में घोटालेबाजों की नजर में रहती है। जहां जैसा मौका मिला जरूर हाथ साफ कर लेते हैं। ताजा मामला थर्मल स्कैनिंग वाले थर्मामीटर से जुड़ा हुआ है, जिसे कमीशन के चक्कर में खरीद तो लिया गया पर रकम के बंटवारे में देरी व हेराफेरी हुई तो मुखबिरी हो गयी और जांच शुरू हो गयी।

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बताया जा रहा है कि पंचायत विभाग के द्वारा थर्मल स्कैनिंग के नाम पर खरीदे जाने वाले स्कैनर में कमीशनबाजी और घटिया माल सप्लाई का मामला विभाग के ही वरिष्ठ अधिकारी ने पकड़ लिया है। प्रारंभिक जांच के बाद उन्होंने जब इसकी खोजबीन शुरू की तो घोटाले की बू आते ही जिलाधिकारी को पत्र लिख दिया।

मामले की गंभीरता को समझते हुए जिलाधिकारी ने तीन सदस्यीय समिति बनाकर 10 दिन के अंदर रिपोर्ट देने का निर्देश दे दिया। 3 सदस्य टीम में उसी अधिकारी को मुखिया बना दिया गया जिसके विभाग में यह घालमेल हुआ है।

बताया जा रहा है कि पंचायती राज विभाग के द्वारा दो तरह के जांच यंत्र खरीदे गए हैं, जिसमें 1598 थर्मल स्कैनर और पल्स ऑक्सीमीटर हैं। इन सभी को जिले की 734 ग्राम सभाओं और 65 नगर निकायों के वार्डों में भेजा जाना था। इन यंत्रों के खरीद-फरोख्त में फिलहाल प्रथम दृष्टा जो खामी पाई गई है वह यह है कि से निर्धारित मूल्य से कहीं ज्यादा दाम पर खरीदे गये हैं।

अब पंचायती राज विभाग के उप निदेशक स्तर के अधिकारी के पत्र मिलने के बाद पंचायती राज विभाग के आला मुखिया को इसकी जांच करने का आदेश दिया गया है, जो पंचायतों और नगर निकायों में बेहतर सेवा और सुविधाएं देने के लिए जवाबदेह हैं।

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इस मामले पर DPRO का कहना है कि जिला अधिकारी द्वारा जांच टीम का अध्यक्ष अब अपर जिला अधिकारी बना दिया गया है । जिसमें जिला उद्योग आयुक्त द्वारा इसकी जांच की जा रही है। इस मामले की जांच प्रभावित होने की आशंका के कारण टीम का अध्यक्ष बदल दिया गया है।

इस संबंध में अपर जिलाधिकारी ने बताया कि अभी तक इस मामले में मुझे किसी प्रकार का लेटर या कोई जानकारी प्रदान नहीं की गई है। यदि संबंधित मामले में अध्यक्ष बनाया जाता है तो मामले की निष्पक्ष जांच कराई जाएगी।

इस मामले पर CDO का कहना है कि इसमें अपर जिला अधिकारी को अध्यक्ष बनाया गया है तथा उपायुक्त उद्योग, डीपीआरओ चंदौली तथा बेसिक लेखा अधिकारी को सदस्य नामित हैं, जिनसे मामले की जांच कराई जा रही है रिपोर्ट आने पर अग्रिम कार्यवाही की जाएगी।

अब देखना यह है कि यह अधिकारी कितनी इमानदारी से इसकी जांच पड़ताल करता है और रिपोर्ट में शामिल घोटालेबाजों को किस तरह से कार्यवाही करने के लिए इंगित करता है।

हालांकि इस टीम में उद्योग विभाग के उपायुक्त और वित्त व लेखाधिकारी बेसिक शिक्षा भी हाथी के दांत की तरह लगाए गए हैं, लेकिन देखना यह है कि इस जांच प्रक्रिया में इनकी कितना चलती है और इस पूरी खरीद-फरोख्त की किस तरह से जांच होती है।

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