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वरिष्ठ नागरिकों व माता-पिता को भरण पोषण पाने का हक, न देने वाले परिजनों पर होगी कार्रवाई

बुजुर्गों की ओर से कोर्ट में वाद दायर किया गया था कि उनके बच्चे उनके साथ ही रहते हैं, लेकिन न तो उनकी कोई सेवा करते हैं और न ही खाना देते हैं। उल्टे उनके साथ मारपीटकर प्रताड़ित करते हैं।
 

माता-पिता को प्रताड़ित करने वाले बच्चों को चेतावनी

भरण पोषण अधिनियम के तहत 4 निस्तारण

उपजिलाधिकारी विराग पांडेय की पहल पर फैसला

जानिए क्या कहता है भरण पोषण अधिनियम

चंदौली जिले के पीडीडीयू नगर तहसील मे उपजिलाधिकारी विराग पांडेय ने चार लोगों का भरण पोषण अधिनियम के तहत निस्तारण किया। इस दौरान एसडीएम ने कहा की 60 वर्ष या उससे अधिक आयु का है वह अपने संबंधितों से भी भरण पोषण की मांग कर सकता है और इग्नोर करने वालों को तीन माह की सजा और जुर्माना का प्रावधान है। इतना सुनते ही चारों परिवार अपने माता-पिता के साथ रहने व उनकी देखभाल के लिए राजी हो गए।
आज के समय में जहां पर बुजुर्ग माता-पिता के बच्चों को सेवा करनी चाहिए वही उसके उलट माता-पिता की सेवा करने की बजाय उन्हें प्रताड़ित करने की खबरे सामने आती रहती है। ऐसा करने वाले बच्चों को सचेत होने की जरूरत है।

पीडीडीयू नगर एसडीएम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए ऐसे चार बुजुर्गों के देखभाल के लिए राजी कराया। बता दें की पीडीडीयू नगर निवासिनी छवि देवी, सुदामा देवी, सावित्री देवी और अनिता देवी गोंड ने उपजिलाधिकारी के यहां माता-पिता भरण पोषण अधिनियम के तहत वाद दाखिल किया। इसपर एसडीएम विराग पांडेय ने सभी वादों के दोनों पक्षों  को अपने कार्यालय में बुलाया। जहां उन्होंने दोनों पक्षों को समझाबुझाकर एक साथ रहने को कहा,  इसपर चारों सहमत हो गए।

बताया जा रहा है कि बुजुर्गों की ओर से कोर्ट में वाद दायर किया गया था कि उनके बच्चे उनके साथ ही रहते हैं, लेकिन न तो उनकी कोई सेवा करते हैं और न ही खाना देते हैं। उल्टे उनके साथ मारपीटकर प्रताड़ित करते हैं। जिससे उनका बुढ़ापे का जीवन नरक बन गया है।

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इस संबंध में एसडीएम विराग पांडेय ने बताया कि माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरणपोषण तथा कल्याण अधिनियम लागू है। इसके तहत वे अभिभावक और वरिष्ठ नागरिक जो अपने आय अथवा अपनी संपत्ति से होने वाली आय से अपना भरण पोषण करने में असमर्थ है। वे अपने वयस्क बच्चों अथवा संबंधितों से भरण पोषण प्राप्त करने के लिए आवेदन कर सकते है। अभिभावक में सगे,  दत्तक माता पिता, सौतेले माता और पिता सम्मिलित हैं।
उपजिलाधिकारी ने बताया कि प्रत्येक वरिष्ठ नागरिक जो 60 वर्ष या उससे अधिक आयु का है। वह अपने संबंधितों से भी भरणपोषण की मांग कर सकता है। जिनका उनकी संपत्ति पर स्वामित्व है अथवा जो कि उनकी संपत्ति के उत्तराधिकारी हो सकते है,कहा कि इसके तहत तीन माह की सजा और जुर्माना प्रावधान है।
वरिष्ठ नागरिकों की उपेक्षा और परित्याग एक संगीन अपराध है। इसमें मासिक भरणपोषण के लिए अधिकतम राशि 10  हजार रुपए प्रति माह तक का आदेश किया जा सकता है।

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