कोरोना से लड़ने के लिए चंदौली जिले की ये महिलाएं बना रही हैं मास्क
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चंदौली जिले में कोरोना से जंग लड़ने में जिले की महिलाएं अपना योगदान दे रही हैं। जिले के कई स्वयं सहायता समूह की महिलाएं सूती कपड़े का मास्क बनाने में जुटी हैं। निजी कंपनी की ओर से महिलाओं को एक लाख मास्क बनाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
कहा जा रहा है कि स्वयं सहायता समूह के द्वारा बनाए जा रहे मास्क की सप्लाई जनपद के साथ प्रदेश व देश के अन्य हिस्सों में की जा रही है। ताकि मास्क की किल्लत से निजात मिले और कोरोना के वायरस को फैलने से रोका जा सके। जिला प्रशासन ने समूह की अन्य गरीब महिलाओं से भी मास्क का निर्माण कराने की योजना बनाई है।
कोरोना का खौफ इस कदर हावी है कि स्वस्थ्य लोग भी मास्क लगाकर ही घरों से बाहर निकल रहे हैं। इससे खासकर सूती कपड़े के मास्क की डिमांड अचानक बढ़ गई है। मेडिकल स्टोर से मास्क गायब है। वहीं जिन दुकानों पर है वहां सामान्य से चार गुना अधिक कीमत चुकाकर खरीदना पड़ रहा। स्थिति यह है कि 10 से 15 रुपये में बिकने वाला मास्क अब 50 रुपये देने पर भी नहीं मिल रहा।
हालांकि चिकित्सकों की मानें तो स्वस्थ्य व्यक्ति के लिए मास्क की जरूरत नहीं है। मास्क संक्रमण को फैलने से रोक सकता है। मास्क की डिमांड को पूरा करने के लिए सरकार ने निजी कंपनियों को ठीका दे रखा है। निजी कंपनी इस कार्य में स्वयं सहायता समूह की महिलाओं की मदद ले रही है। इसके लिए सूती व जालीदार कपड़ा समेत अन्य संसाधन मुहैया कराए गए हैं।
फिलहाल मुख्यालय के नेगुरा गेट के समीप स्थित स्वत: रोजगार कार्यालय में महिलाएं पूरी शिद्दत से मास्क बनाने में जुटी हैं। इसके बदले दो रुपये प्रति मास्क के हिसाब से भुगतान मिल रहा है। वहीं अधिक से अधिक मास्क बनाने की धुन भी है। ताकि लोगों को कोरोना के संक्रमण से सुरक्षित रखा जा सके। अभी तक समूह की महिलाएं 20 हजार मास्क बना चुकी हैं।
फिलहाल एक दर्जन महिलाएं मास्क बनाने में जुटी हैं। छह महिलाएं मशीन से सिलाई का काम कर रहीं। जबकि अन्य कपड़े की कटाई का काम करती हैं। धानापुर ब्लाक के स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को भी मास्क निर्माण के कार्य में लगाया जाएगा।
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