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ऐसा भी होता है जब मरीज के लिए भगवान बन जाते हैं डॉक्टर, जानिए इस मरीज की कहानी

tds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_show जब सारी उम्मीदें फेल हो जाती है, तो इंसान केवल एक सहारा सामने आता है, वह भगवान का है । वही धरती पर भगवान का दर्जा प्राप्त करने वाले कुछ चिकित्सक भी हैं, जो कि मुश्किल की घड़ी में भगवान के रूप में सामने आ जाते हैं । ऐसा ही कुछ कारनामा चंदौली के सूर्या
 
ऐसा भी होता है जब मरीज के लिए भगवान बन जाते हैं डॉक्टर, जानिए इस मरीज की कहानी

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जब सारी उम्मीदें फेल हो जाती है, तो इंसान केवल एक सहारा सामने आता है, वह भगवान का है । वही धरती पर भगवान का दर्जा प्राप्त करने वाले कुछ चिकित्सक भी हैं, जो कि मुश्किल की घड़ी में भगवान के रूप में सामने आ जाते हैं । ऐसा ही कुछ कारनामा चंदौली के सूर्या हॉस्पिटल एवं ट्रामा सेंटर में हुआ कि 96 वर्षीय तेतर देवी को चिकित्सक भगवान के रूप में दिखाई देने लगे।

बताते चलें कि 1 महीने पूर्व जिला मुख्यालय पर स्थित सूर्या हॉस्पिटल एवं ट्रामा सेंटर खुला है, जहाँ उम्मीद खो चुकी 96 वर्ष तेतरा देवी की जीने की उम्मीद उस समय जग गई, जब सूर्या हॉस्पिटल एवं ट्रामा सेंटर के संचालक डॉ गौतम त्रिपाठी (एमबीबीएस-एमएस-ऑर्थो बीएचयू) के द्वारा 96 वर्षीय महिला का ऑपरेशन करने की हामी भर दी गयी।

ऐसा भी होता है जब मरीज के लिए भगवान बन जाते हैं डॉक्टर, जानिए इस मरीज की कहानी

इस संबंध में बताया जा रहा है कि जिले के बौरी निवासी जवाहर सिंह ने अपनी 96 उम्र की माँ तेतरा के इलाज के लिए दर-दर भटक रहे थे और उनकी मां का दर्द कम ही नहीं हो रहा था, जिसके कारण मां के दर्द से रातों दिन भगवान की मन्नत कर रहे थे कि हर हॉस्पिटलों से नाकाम होकर एक उम्मीद लेकर जब जवाहर सिंह अपनी मां को लेकर सूर्या हॉस्पिटल पहुंचे।

जब जवाहर ने वहां मौजूद डॉ गौतम को बताया कि उनकी मां का पैर फिसलने के कारण उनके हाथ की कोहनी टूट गई है, जिससे उम्र ज्यादा होने के कारण कोई भी डॉक्टर ऑपरेशन करने के लिए तैयार नहीं है। इस पर डॉ गौतम त्रिपाठी ने बीएचयू के ट्रामा सेंटर अनुभव का प्रयोग करते हुए तेतरा देवी के ऑपरेशन करने की हामी भर दी…और फिर क्या था ? यदि भगवान स्वरूप चिकित्सक दिलों जान से किसी काम को हाथ मे ले ले तो क्या वह असंभव हो सकता है ? बस वही कारनामा हुआ कि आज वही तेतरा देवी उन्हें भगवान के नाम लेकर आशीर्वाद दे रहे हैं।

इस संबंध में गौतम त्रिपाठी ने बताया कि 96 वर्षीय माताजी जब मेरे पास आयीं तो वह दर्द से इतनी कराह रहीं थीं कि उनका दर्द देखा नहीं गया वह ऑपरेशन के लिए तैयार नहीं थीं। पर उन्हें भरोसे में लेकर और काफी समझा बुझाकर हमारे नेतृत्व में कुशल डाक्टरों की टीम ने सफल ऑपरेशन करके उनको राहत दे दी। ऑपरेशन से आराम होने पर माता जी अब सबको आशीर्वाद दे रही हैं। यह तो मेरे बीएचयू ट्रामा सेंटर के अनुभव का केवल एक प्रयोग है। ऐसे ही एक महीने में कई मरीज आए हैं जो कि अपनी एक हाथ की कटी हुई उंगली दूसरे हाथ में लेकर पहुंचे और उन्हें यहां से उम्मीद की किरण मिली।

ऐसा भी होता है जब मरीज के लिए भगवान बन जाते हैं डॉक्टर, जानिए इस मरीज की कहानी

इस मौके पर मौजूद मरीजों ने कहा कि इस अस्पताल में डॉक्टरों की टीम व अन्य स्टाफ बहुत ही प्रेम व सेवा भाव से कार्य करते है। हर गंभीर से गंभीर मरीजों को भी ध्यान देकर इलाज करके ठीक करने का सफल प्रयास किया जाता है।

एक मरीज ने कहा कि डॉक्टर इसीलिए भगवान के अवतार कहे जाते हैं क्योंकि वह इलाज करके लोगों को कष्ट से मुक्ति दिलाते हैं। इस अस्पताल में आने पर ऐसा लगता है कि अब हमारा इलाज अच्छे तरीके से हो जाएगा।

वहीं अपनी मां के सफल ऑपरेशन से खुश जवाहर सिंह ने ऑपरेशन टीम में शामिल डॉ. ऋषि त्रिपाठी व ओटी टेक्नीशियन निशांत मिश्रा के कार्य व व्यवहार की तारीफ की।

डॉ. गौतम त्रिपाठी का कहना है कि हमने लोगों की सेवा के लिए यह पेशा चुना है और ग्रामीण परिवेश में आकर अस्पताल खोला है ताकि गरीब से गरीब लोगों की मदद की जा सके और हर किसी का आसानी से उपचार कर सकें। उम्मीद है कि आगे भी इसी तरह से लोगों का उपचार जारी रहेगा।

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