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इसलिए भारत बना है मधुमेह की राजधानी, इन 4 चीजों से नहीं बचे तो आप भी बनेंगे मरीज

इस संबंध में एमडीआरएफ के अध्यक्ष डॉ. वी मोहन ने बताया कि भारत जैसे देशों में पोषण बदलाव के चलते कार्बोहाइड्रेट, वसा और पशु उत्पादों का सेवन तेजी से बढ़ा है।
 

मद्रास डायबिटीज रिसर्च फाऊंडेशन का शोध

आईसीएमआर की क्लीनिक में ट्रायल के दौरान हुआ खुलासा

चिप्स-कुकीज-मेयोनेज़ खाने की आदत दे रही बीमारी

भारत बनता जा रहा है मधुमेह की राजधानी
 

चिप्स, कुकीज, केक, फ्राइड फूड्स और मेयोनीज जैसे अल्ट्रा प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थ की वजह से भारत पूरी दुनिया में मधुमेह की राजधानी बना हुआ है। यह खुलासा चेन्नई स्थित मद्रास डायबिटीज रिसर्च फाउंडेशन (एमडीआरएफ) और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के संयुक्त अध्ययन में हुआ है।

आपको बता दें कि शोधकर्ताओं ने 38 लोगों पर पहली बार एक क्लीनिकल ट्रायल के जरिये इन खाद्य पदार्थों के प्रभावों के बारे में विश्लेषण किया। शोधकर्ताओं का कहना है कि ये खाद्य पदार्थ एडवॉन्स्ड ग्लाइकेशन एंड प्रोडक्ट्स (एजीई) से भरपूर होते हैं, जो सीधे तौर पर पेनक्रियाज को प्रभावित करते हैं इंटरनेशनल जर्नल ऑफ फूड साइंसेज एंड न्यूट्रिशन में प्रकाशित इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने अधिक वजन वाले लोगों में ग्लुकोज और लिपिड मेटाबोलिज्म के साथ-साथ ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस और इन्फ्लेमेशन पर कम व उच्च-एजीई आहार के प्रभावों की जांच की।

इस संबंध में एमडीआरएफ के अध्यक्ष डॉ. वी मोहन ने बताया कि भारत जैसे देशों में पोषण बदलाव के चलते कार्बोहाइड्रेट, वसा और पशु उत्पादों का सेवन तेजी से बढ़ा है। वहीं, दूसरी ओर ऐसी खाद्य आदतें, व्यायाम से दूरी बढ़ी है, जिसका खामियाजा मोटापा और मधुमेह सहित गैर संचारी रोगों के रूप में दिखाई दे रहा है। अभी तक के अध्ययनों में यह स्पष्ट है कि वसा, शुगर, नमक और एजीई से भरपूर खाद्य पदार्थ कई तरह की बीमारियों को बढ़ावा देते हैं।

डॉ. मोहन ने बताया कि हम सभी अपने भोजन में एजीई का स्तर कम रख सकते हैं। इसके लिए जरूरी है कि भोजन को उबालने के बाद तलना, भूनना या ग्रिल नहीं करना चाहिए। इसके अलावा अधिक घी या तेल मिलाने से बचें। फल, सब्जियां, हरी पत्तेदार सब्जियां और साबुत अनाज के सेवन पर ज्यादा जोर दें। सूखे मेवे, भुने हुए अखरोट, सूरजमुखी के बीज, तला हुआ चिकन, बेकन में भी एजीई का स्तर काफी उच्च होता है। इनसे बचना बहुत जरूरी है।

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