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75 वर्षों से स्थापित राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय को 25 बेड का अस्पताल बनाने की मांग आज भी अधूरी

चकिया तहसील क्षेत्र  अंतर्गत राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय एवं हेल्थ वैलनेस सेंटर सरैया, बसाढी में 25 शैय्या युक्त अस्पताल की मांग पिछले कई वर्षों से हो रही है लेकिन आज तक इसको अमल में नहीं लाया गया।
 

विभागीय उच्चाधिकारियों ने  शासन को भेज रखा है प्रस्ताव

न जाने कहां अटकी है अस्पताल वाली फाइल

कौन दिलवा सकता है अस्पताल को मंजूरी

कब होगी वनांचल के लोगों के आस पूरी

 

चंदौली जिला के चकिया तहसील क्षेत्र  अंतर्गत राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय एवं हेल्थ वैलनेस सेंटर सरैया, बसाढी में 25 शैय्या युक्त अस्पताल की मांग पिछले कई वर्षों से हो रही है लेकिन आज तक इसको अमल में नहीं लाया गया। जिससे क्षेत्र के लोगों को बेड युक्त अस्पताल की आस आज तक अधूरी रह गई। ऐसी स्थिति में क्षेत्रीय जनों को इलाज कराने वाले मरीजों को भर्ती होने की सुविधा आसपास में नहीं है। जिसके कारण गंभीर हालत की मरीजों को जिला चिकित्सालय का शरण लेने को मजबूर होना पड़ता है। क्षेत्र में इलाज की मुकम्मल व्यवस्था न मिल पाने के कारण गंभीर हालत के मरीजों को जान भी गंवानी पड़ जाती है।

 बताते चलें कि राजकीय आयुर्वेद चिकित्सालय एवं हेल्थ वैलनेस सेंटर में वर्तमान समय में मात्र एक चिकित्साधिकारी एक फार्मासिस्ट की नियुक्ति की गई है। वहीं एक आउटसोर्सिंग योग प्रशिक्षक तथा एक आउटसोर्सिंग कर्मचारी नियुक्ति है। जबकि चिकित्सालय में गांधीनगर, बरहुआ, सैदूपुर, पालपुर, मनकपड़ा, पड़रिया, सीहर, उसरी, बेलावर बनभीषमपुर, छीत्तमपुर, ताला, तेंदुई, बीचबनवा, ढोढनपुर, कोल्हुआ, मुसाखाड, रामशाला, खोजापुर, उसरी, ईसापुर, अर्जी, सुल्तानपुर, घुरहूपुर, सरैया, बसाढी, खरौझा, बनरसिया, बेन, तियरी, खझरा, मालदह के अलावा बिहार प्रांत के कैमूर जिला से दर्जनों गांवों के मरीज इलाज के लिए आते हैं। लेकिन यहां सुविधाओं का अभाव है। भर्ती करने के लिए बेड की व्यवस्था तक नहीं है। जिसके कारण मरीज को जिला अस्पताल जाने की मजबूरी बन जाती है। 

जबकि राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय को आजादी के बाद 2 सितंबर 1949 को खरौझा के एक निजी भवन में स्थापित किया गया। वर्ष 1991 में आवासीय भवन का निर्माण कराकर अस्पताल को उसी में स्थापित कर दिया गया तब से चिकित्सालय आवासीय भवन में चल रहा है। राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय के स्थापित किये 75 वर्ष बीत गए लेकिन आज भी सुविधाएं जस की तस है। यहां ना तो पर्याप्त स्टाफ की नियुक्ति की जा रही है नहीं तो सुविधाएं बढ़ाई जा रही हैं।जिससे वनांचल क्षेत्र से इलाज के लिए आने वाले दर्जनों गांव के लोगों को चकिया तथा चंदौली के जिला चिकित्सालय में जाने के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ती है। जिसके कारण दुर्घटना तथा गंभीर मरीजों को तत्काल आसपास में इलाज की समुचित सुविधा न मिल पाने के कारण बहुत से मरीज जिला चिकित्सालय पहुंचने के पूर्व ही दम तोड़ देते हैं।

25 bed hospital demand

  क्षेत्रीय जनों की मांग तथा मरीजों की सुविधा को देखते हुए चिकित्साधिकारी डॉ श्याम सुंदर नीरज ने दो वर्ष पूर्व ही क्षेत्रीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी कार्यालय वाराणसी को पत्राचार कर 25 शैय्या युक्त सुविधाजनक अस्पताल के निर्माण का मांग किया था मगर आज तक उसे अमल में नहीं लाया गया, जिसके कारण क्षेत्र के लोगों का इलाज पुराने ढर्रे पर चल रहा है। एक तरफ प्रदेश की योगी सरकार में आयुष मंत्रालय आयुर्वेद चिकित्सालयों के कायाकल्प करने एवं सुविधाएं बढ़ाने की बात कर रहा है तो वहीं दूसरी तरफ 75 वर्षों से स्थापित इस राजकीय चिकित्सालय की व्यवस्था रामभरोसे से चल रही है। 

25 bed hospital demand

इस संदर्भ में क्षेत्रीय कार्यालय वाराणसी के आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी डॉक्टर शंकर सरोज राम ने बताया कि 25 शैय्या युक्त चिकित्सालय का निर्माण किए जाने हेतु शासन को प्रस्ताव बनाकर भेज दिया गया है। भूमि की कमी के कारण स्वीकृति रुकी हुई है। भूमि के हिसाब से पुनः प्रस्ताव बनाकर भेजने की दिशा में कार्य किया जा रहा है। स्वीकृति मिलते ही निर्माण कर शुरू करा दिया जाएगा। अब देखना है कि इस स्वास्थ्य केंद्र को विभिन्न आधुनिक सुविधाओं से लैश शैय्या युक्त चिकित्सालय का निर्माण कब तक हो पाता है।

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