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रामचरितमानस मानव जीवन की अनमोल संस्कृति : व्यास अखिलेश उपाध्याय

गुरु की महिमा का बखान करते हुए कहा कि सबसे बड़े गुरु हनुमान जी थे। दूसरा गुरु सत्संग है। भगवान शिव भी माता पार्वती को साथ लेकर सत्संग में भगवान की कथा सुनने जाते थे।
 


चंदौली जिला के चकिया विकासखंड अंतर्गत जागेश्वरनाथ धाम परिसर स्थित बाबा जागेश्वरनाथ सेवा समिति द्वारा आयोजित नौ दिवसीय संगीतमय श्री रामकथा की दूसरी निशा को संबोधित करते हुए व्यास अखिलेश उपाध्याय ने कहा कि रामचरितमानस मानव जीवन की अनमोल संस्कृति है जो हर मानव को जीवन जीने की कला सिखाती है।

श्री रामचरित मानस की महत्ता पर प्रकाश डालते हुये कहा कि श्रीराम कथा श्रवण के लिए मानव को अहंकार, ईष्या, क्रोध , झूठ व फरेब का त्याग करना होगा। तभी भगवान का सानिध्य प्राप्त हो सकता है।
राम का अर्थ है राष्ट्र व समाज का कल्याण व मंगल करना। 

गुरु की महिमा का बखान करते हुए कहा कि सबसे बड़े गुरु हनुमान जी थे। दूसरा गुरु सत्संग है। भगवान शिव भी माता पार्वती को साथ लेकर सत्संग में भगवान की कथा सुनने जाते थे। कथा सुनने के पूर्व मनुष्य को अहंकार, लालच व ईष्या का परित्याग करना होगा तभी ईश्वर का सानिध्य प्राप्त होगा। 

इस अवसर पर श्री राम कथा समिति के अरविंद कुमार सिंह, समाजसेवी डॉ गीता शुक्ला, अंबुज मोदनवाल, रामभरोस जायसवाल, सालिक पाल सहित तमाम श्रोता उपस्थित रहे।

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