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भगवान राम का 4 तरीके से हुआ है विवाह, मन, वचन, लोकमत, वैदिक रीति से हुआ था विवाह : कथावाचक जगदीशाचार्य

मनकपड़ा गांव में हनुमान मंदिर पर चल रही है रामकथा, कथावाचक जगदीशाचार्य सुना रहे रामकथा
 

चंदौली जिला के शहाबगंज विकासखंड अंतर्गत मनकपड़ा गांव में हनुमान मंदिर पर आयोजित 11 दिवसीय संगीत मय श्री रामकथा के आठवें दिन प्रयागराज से पधारे कथावाचक जगदीशाचार्य ने कहा कि ज्ञान रूपी भगवान श्रीराम और भक्ति स्वरूपा माता सीता का संबंध जुड़ने के वक्त जो वैवाहिक मंडप मिथिला में बना था। ऐसा प्रतीत होता था कि मंडप के चारों ओर लगे खंभे चारों वेद हैं। चारों वेद ही राम, भरत, लक्ष्मण और शत्रुघ्न अर्थात चारों भाई थे। यह बातें मनकपड़ा गांव के हनुमान मंदिर पर आयोजित ग्यारह दिवसीय संगीतमय राम कथा के आठवें दिन बुधवार को जगदीशाचार्य जी ने कही। 
 
 उन्होंने कहा की प्रभु श्रीराम का विवाह चार प्रकार से हुआ। फुलवारी में पहला विवाह मन से, धनुष भंग होने पर दूसरा विवाह वचन से, तीसरा लोकमत यानी जयमाल व अंतिम विवाह अयोध्या से बरात आने पर वेद रीति से संपन्न हुआ। ज्ञान और भक्ति का विवाह होने के बाद जब भक्ति स्वरूपा माता सीता का मिथिला से विदाई होने लगी तो कोई भी ऐसा नरनारी नहीं था। जो कि रो न दिया हो। यहां तक कि मिथिला राज्य के वृक्ष, पशु, पक्षी भी रो दिए। विदाई के करुण दृश्य का वर्णन सुनाते हुए कथा वाचक के आंसू छलक पड़े तो कथा सुनने वाले श्रोता भी करुणा के भाव विभोर हो गए। 

कथावाचक जगदीश आचार्य ने महिलाओं को आगाह करते हुए कहा कि जिस तरह अयोध्या में मंथरा मौजूद थी। उसी तरह हर गांव व घर में भी कोई न कोई वैसा ही मंथरा की भूमिका निभा रहा है। ऐसे लोगों से सावधान रहने की जरूरत है। जिस तरह से कैची कपड़े को काट कर अलग करती है, सबसे कम कीमत की सूई कटे कपड़े को जोड़ने का काम करती है। ठीक उसी तरह आज के लोग भी सुई के भूमिका में अपना कार्य करें। तभी जीवन में सुख की प्राप्ति होगी। उन्होंने दहेज रूपी कुरीति से समाज को मुक्ति दिलाने के लिए युवाओं को आगे आने का आह्वान किया। भव्य आरती के साथ ही प्रसाद वितरित की गई।

कथा का श्रवण करने वालों में विद्याधर पाण्डेय,श्यामधार पाण्डेय, विजय बहादुर सिंह,चंदन, प्रिंस पाण्डेय, नरेंद्र, जितेंद्र, अशोक,संतु दुबे सहित तमात श्रद्धालु उपस्थित थे।

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