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अमांव में चल रही रामकथा में हुआ पुष्पवाटिका की कथा सुनकर भक्त आह्लादित

''लोचन मगु रामहि उर आनी, मूंदही आंख कपाट सयानी" सीता और उनकी सखियां चिन्तित हो गई कि जिन्हें फूल तोड़ने में पसीना आ रहा है वे धनुष कैसे तोड़ पाएंगें।
 

पुष्पवाटिका में राम-सीता का हुआ मिलन

गौरी पूजन कर मांगा आर्शीवाद

चंदौली जिले के शहाबगंज क्षेत्र के अमांव गांव पर नदी के तट पर बाबा मुरलीधर खेल मैदान  में चल रही रामकथा के चौथे दिन पुष्प वाटिका कथा का भक्तों ने श्रवण किया रामकथा में हर रोज हजारों लोग जुट रहे हैं। 

Ramkatha


कथा वाचिका आस्था दुबे ने कथा के शुरूआत में बताया की महामुनि विश्वामित्र के आदेश पर राम और लक्ष्मण राजा जनक की पुष्प वाटिका में गुरु पूजन के लिए फूल लेने जाते हैं। पुष्प वाटिका में फूल तोड़ते हुए श्रीराम लताओं के बीच से वाटिका में अपनी सखियों के साथ आ रहीं सीता को देखते हैं और श्रीराम की टकटकी बंध जाती है तो वहीं सीता ने भी लताओं की ओट से राम के व्यक्तित्व को निहारते हुए अपने नेत्र बंद कर लिए और उन्हें हृदय में स्थापित कर लिया। ''लोचन मगु रामहि उर आनी, मूंदही आंख कपाट सयानी" सीता और उनकी सखियां चिन्तित हो गई कि जिन्हें फूल तोड़ने में पसीना आ रहा है वे धनुष कैसे तोड़ पाएंगें। राम कथा  का यह प्रसंग सुनने लायक था।

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वहीं आस्था दुबे ने बताया कि राम-सीता की इस भेंट के बाद सखियां सीता के साथ मां गौरी के पूजन के लिए पहुंची, जहां पर ''मोर मनोरथ जानहु नीके, बसहु सदा उर पुर सब हीके" सीता ने इस चौपाई के साथ मां गौरी से प्रार्थना करते कहा कि हे मां आप सबके मनोरथ को जानती हो, इसी दौरान एक फूल सीता की सिर पर आर्शीवाद स्वरूप गिरता है। उधर राम-लक्ष्मण विष्वामित्र के पास पहुंचे जहां, मुनि विश्वामित्र ने आर्शीवाद दिया कि आपके सभी मनोरथ सफल होंगे। इस प्रसंग को देखकर प्रांगण में उपस्थित जनसमूह अभीभूत हुआ और करतल ध्वनि से स्वागत वंदन किया।

इस मौके पर सुनील सिंह, सिंघाड़े चौहान, शंभू चौहान, पारस, यदुनाथ, अभिषेक, रामपति, दरोगा, राम चरित्र विश्वकर्मा, मिथिलेश कुमार, राधेश्याम गुप्ता, मिठाई गुप्ता आदि भक्तगण उपस्थित रहे।

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