लहसुनियां बीट में फारेस्ट गार्ड व वाचरों करते हैं पैसे की वसूली, गरीबों का करते हैं उत्पीड़न
अजय राय का वनकर्मियों पर बड़ा आरोप
बड़े काश्तकारों से लेते हैं पैसे
जंगल विभाग की जमीन पर यही कराते हैं कब्जा
चंदौली जिले में आज नौगढ़ के जयमोहनी रेंज के लहसुनियां बीट में अजय राय ने वाचरों व फारेस्ट गार्ड के द्वारा पुश्तैनी बसे लोगों के उत्पीड़न पर आक्रोश जताया है। वहीं फारेस्ट गार्ड व वाचरों पर पैसा वसूली का लगाया आरोप लगाया है । कहा कि जंगल विभाग के उक्त वाचर व फारेस्ट बड़े काश्तकार से पैसे लेकर जंगल विभाग की जमीन पर अतिक्रमण कराते हैं और दावा दाखिल किए गरीबों को उजाड़ रहे हैं।
चंदौली जिले के चकिया क्षेत्र में आज आंल इण्डिया पिपुल्स फ्रंट से जुड़ी आदिवासी वनवासी महासभा के द्वारा इलाहाबाद हाईकोर्ट में दायर जनहित याचिका के आदेश पर वनाधिकार कानून के तहत सुनवाई करने के लिए पिछले दिनों आईपीएफ राज्य कार्य समिति सदस्य व मजदूर किसान मंच के प्रभारी अजय राय ने कहा कि वनाधिकार में दाखिल दावा की दाखिल की सुनवाई बंद हैं और उल्टे उत्पीड़न हो रहा है। वनाधिकार लागू करने को वन विभाग व चन्दौली जिला प्रशासन गंभीर हो और वनाधिकार के दावे की सही तरह से निस्तारण करें और जब तक निस्तारण न हो तबतक उत्पीड़न न किया जाए। वहीं स्थलीय भौतिक सत्यापन भी हो।
उन्होंने कहा कि वनाधिकार कानून को भी सपा-बसपा ने अपनी सरकार में लागू नहीं किया। आज भी र्सुनवाई का आदेश संघ-भाजपा की केन्द्र व प्रदेश सरकार की इच्छा के विरूद्ध न्यायपालिका और जनांदोलन के दबाव में ही हुआ है। हालत तो यह है कि आरएसएस से जुडे संगठन ने वनाधिकार कानून को खत्म करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली, केन्द्र सरकार के द्वारा पैरवी न करने से बेदखली का आदेश हुआ। जिस पर भारी दबाव में स्टे हुआ। इसलिए जनता को सचेत व संगठित होकर वनाधिकार के अनुपालन को सुनिश्चित कराना होगा।
अजय राय ने कहा कि चकिया व नौगढ़ मे वन निवासियों ने वनाधिकार कानून के तहत वनभूमि जमीन पर अपने पुश्तैनी कब्जे पर अधिकार के लिए गांवस्तरीय वनाधिकार समिति में दावा जमा किया था। जिस पर जांचोपरांत दावे को स्वीकृत करते हुए ग्रामसभा की वनाधिकार समिति ने दिनांक 25 जुलाई 2009 को नौगढ़ व चकिया तहसील में दावे को जमा किया था। इस दावे के सम्बंध में आज तक दावेदारों को कोई सूचना नहीं दी गयी। जबकि वनाधिकार कानून की संशोधित नियमावली 2012 की धारा 12 क की उपधारा-3 के तहत दावेदार को व्यक्तिगत रूप से संसूचित किया जाना अनिवार्य है। जिससे वह उच्चतर स्तर की समिति में 60 दिन के अंदर अपील कर सके।
इसी धारा की उपधारा-5 कहती है कि किसी व्यक्ति की याचिका को तब तक निपटाया नहीं जायेगा जब तक कि उसे अपने दावे के समर्थन में कुछ प्रस्तुत करने का युक्ति युक्त अवसर न प्रदान कर दिया गया हो। वहीं उपधारा-7 कहती है कि दावे को स्वीकार न करने के कारण लिखित रूप से अभिलेखबद्ध किया जायेगा और दावाकर्ता को कारणों के साथ उपलब्ध कराया जायेगा।
इस सम्बंध में माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद में दायर जनहित याचिका सं. 27063/2013 में दाखिल हैं खेद के साथ अवगत कराना है कि आज तक माननीय उच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार मान्यता और सत्यापन प्रक्रिया पूर्ण नहीं हुई और वनाधिकार कानून के तहत पेश दावों का निस्तारण नहीं हुआ और दावेदार को उसके दावों के सम्बंध में सूचित तक नहीं किया गया। वनाधिकार कानून के अध्याय तीन की धारा 5 में स्पष्ट प्रावधान है कि ‘किसी वन में निवास करने वाली अनुसूचित जनजाति या अन्य परम्परागत वन निवासियों का कोई सदस्य उसके अधिभोगाधीन वन भूमि से तब तक बेदखल नहीं किया जाएगा जब तक कि मान्यता और सत्यापन प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती है।'
अतः स्पष्ट है कि बिना दावा निस्तारण के चन्दौली जनपद में वन विभाग और प्रशासन द्वारा की जा रही बेदखली की कार्यवाही विधि के विरूद्ध है और हस्तक्षेप कर विधि विरूद्ध हो रही बेदखली की कार्यवाही पर रोक लगाने का आदेश दें। वन विभाग व चन्दौली जिला प्रशासन गंभीर हो और वनाधिकार के दावे की सही तरह से निस्तारण करे। और जब तक निस्तारण न हो तबतक उत्पीड़न न किया जाए।वही स्थलीय भौतिक सत्यापन करने के लिए कहा है।
चंदौली जिले की खबरों को सबसे पहले पढ़ने और जानने के लिए चंदौली समाचार के टेलीग्राम से जुड़े।*