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मजदूरों की सामाजिक सुरक्षा सरकार का दायित्व, अजय राय ने रखी अपनी मांग

प्रदेश में इन्वेस्टर सबमिट के जरिए रोजगार सृजन की चाहे जितनी बात की जाए असलियत यह है कि मजदूरों को काम नहीं मिल रहा है। बड़ी संख्या में ग्रामीण मजदूर दूसरे राज्यों में पलायन करने के लिए मजबूर हैं।
 

 मजदूर किसान मंच मंच ने सौंपा ज्ञापन

उपजिलाधिकारी चकिया को दिया ज्ञापन

प्रदेश के सीएम को भेजा मांगों का पत्रक

चंदौली जिले के चकिया में अपनी बात रखते हुए अजय राय ने कहा कि संविधान स्पष्ट रूप से कहता है कि सरकार का यह दायित्व है कि वह मजदूरों के गरिमापूर्ण जीवन के लिए सामाजिक सुरक्षा के उपाय करें। उनके पेंशन, स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार को सुनिश्चित करें। 2008 में बना केंद्रीय कानून भी असंगठित मजदूरों के लिए सामाजिक सुरक्षा की गारंटी करता है। बावजूद इसके सरकारें मजदूरों को उनके अधिकार देने के लिए तैयार नहीं है। ऐसी स्थिति में आज असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के साझा मंच में पूरे प्रदेश में मांग दिवस मनाया।

 चकिया  में मजदूर किसान मंच  व आईपीएफ  ने चकिया उपजिलाधिकारी  के माध्यम से मुख्यमन्त्री को पत्रक भेजा। सीएम से मांग की गई कि ई-श्रम पोर्टल में पंजीकृत मजदूरों के लिए आयुष्मान कार्ड, आवास, बीमा, पेंशन, मुफ्त शिक्षा, कौशल विकास और पुत्री विवाह अनुदान जैसी योजनाओं को तत्काल लागू किया जाए, जनपद को सूखाग्रस्त घोषित कर तत्काल राहत पैकेज दिया जाए, मनरेगा में 200 दिन काम और ₹600 मजदूरी दी जाए, प्रदेश में रोजगार अधिकार कानून बनाया जाए, शुद्ध पेयजल की हर गांव में तत्काल व्यवस्था की जाए और नौगढ़ में आदिवासी, दलित, गरीब लड़कियों के लिए डिग्री कॉलेज तत्काल खोला जाए।
      
 उपजिलाधिकारी चकिया से आईपीएफ राज्य कार्य समिति सदस्य अजय राय व अखिलेश दूबे  ने कहा कि प्रदेश में मजदूरों की हालत बेहद खराब है। प्रदेश में इन्वेस्टर सबमिट के जरिए रोजगार सृजन की चाहे जितनी बात की जाए असलियत यह है कि मजदूरों को काम नहीं मिल रहा है। बड़ी संख्या में ग्रामीण मजदूर दूसरे राज्यों में पलायन करने के लिए मजबूर हैं। गांव में मनरेगा ठप पड़ी हुई है और जो काम भी दिया गया है उसमें मजदूरी बकाया है।

कहा कि प्रदेश में न्यूनतम वेतन का पिछले 5 साल से वेज रिवीजन न करने के कारण प्रदेश में मजदूरी दर बेहद कम है और इस महंगाई में मजदूरों को अपने परिवार का जीवन चलाना बेहद कठिन होता जा रहा है।  प्रदेश सरकार ने ई-श्रम पोर्टल पर पंजीकृत 8 करोड़ 30 लाख मजदूरों को सामाजिक सुरक्षा का लाभ नहीं दिया। यदि सरकार इन सवालों को हल नहीं करती है तो प्रदेश में एक बड़ा आंदोलन छेड़ा जाएगा।

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