देशभक्ति के रंग में और शानदार नज्मों नें डूबा बड़गावां गांव, मुशायरे व कवि सम्मेलन में खूब बजीं तालियां

आल इंडिया मुशायरा व कवि सम्मेलन का आयोजन
शेरो-शायरी व हास्य-व्यंग्य के रस से सराबोर रहे लोग
मुशायरे का श्रोताओं ने भोर तक उठाया लुत्फ़
चंदौली जिले के शहाबगंज में जो ख़ानदानी रईस हैं वो मिजाज रखते हैं नर्म अपना, तुम्हारा लहजा बता रहा है तुम्हारी दौलत नयी-नयी है। देश की विख्यात कवियित्री शबीना अदीब के इस गीत के साथ ही देश भक्ति गीत हिन्दू,मुस्लिम,सिख-ईसाई के आँखों का तारा है यहीं है मेरा हिंदुस्तान यही है मेरा हिंदुस्तान। वसीम मज़हर गोरखपुरी के गीत पर लोग झूम उठे। तो ऐसे ही देशभक्ति,शेरो-शायरी,श्रृंगार रस एवं हास्य-व्यंग की कविताओं का लुत्फ क्षेत्र के बड़गावां गाँव में शनिवार को देरशाम कौमी यकजहती फाउंडेशन के तत्वावधान में आयोजित आल इंडिया मुशायरा व कवि सम्मेलन में श्रोतागण रविवार की भोर तक उठाते रहे।

कार्यक्रम की शुरुआत मुख्य अतिथि समाजसेवी औसाफ़ अहमद गुड्डू व हाजी सैय्यद नईम ने फीता काटकर किया। इसके बाद कवि-कवियित्रियों के शानदार प्रस्तुति ने लोगों को ताली बजाने पर मजबूर कर दिया। निज़ाम बनारसी ने अपने इस मुल्क की हर वक्त हिफाज़त के लिए,सर लिए फ़िरते हैं हम लोग शहादत के लिए सुनाया तो महफ़िल हिंदुस्तान जिंदाबाद के नारों से गूंज उठी। फरमूद इलाहाबादी ने इश्क करके में बंटा आधा इधर आधा उधर,पर्स से कटा आधा इधर आधा उधर।अरक़म बहरियाबादी ने कहा.. अदब से पेश आएं तो सलीक़े याद रखते, हम अपने चाहने वालों के लहजे याद रखते।

नसीम साज ने मैं न आता मक़ामे गुरबत तक,मेरी तकदीर मुझको लायी है। जमजम रामनगरी ने जमीं से शामए परवर दिगार जाता है,अदालतों में जब इंसाफ़ हार जाता है। चन्दौली की रीना तिवारी ने हौसला बन गयी हूँ सभी के लिए, गम छुपाती हूँ अक्सर खुशी के लिए। शाइस्ता सना बरेली ने ..ये है दिल अब इसके आगे कोई रास्ता नहीं है, मगर इसपे चलने वाला कभी सोचता नहीं है..सुनाया तो लोगों ने खूब तालियां बजायीं।
सलमान जफ़र हरदोई ने सख़्ती थोड़ी लाजिम है पर पत्थर होना ठीक नहीं,हिन्दू-मुस्लिम ठीक है साहब कट्टर होना ठीक नहीं सुनाकर ख़ूब वाहवाही लूटी।जौहर कानपुरी ने अपने लहजे को नर्म करके देख,तेरी इज्जत तेरी जबान में है।
क्षेत्र के चर्चित कवि बंधु पाल ने कहा फूल गुलदस्ता में जब सजावल जाएगी केकरे केकरे नजर से बचावल जाई और घरवाली प्रधान हो गईल सुनाकर लोगों को ताली बजाने पर मजबूर कर दिया। अतीक अंजर ने कहा की आसमा देख के हैरान न हों,ये सिमट जाएगा धीरे-धीरे।मुशायरा व कवि सम्मेलन का संचालन कर रहे समर गाजीपुरी ने ये उनकी सियासत है कि लड़ते रहे हमसब,हम एक हैं दुनिया को बता क्यों नहीं देते सुनाकर भोरतक लोगों को मुशायरा में बैठने पर मजबूर कर दिया। इससे पहले अतिथियों को अंगवस्त्र भेंटकर व माल्यार्पण कर स्वागत किया गया।
अतिथियों का स्वागत कय्यूम खां व मुस्ताक अहमद ने किया ।इस अवसर पर मुख्य रूप से डा. शहाबुद्दीन मटू,अनीस खां,बब्बल खान, टोनी खरवार,जमील अहमद, महेंद्र राव, मुश्ताक खां, अनिल केशरी सभासद, प्रदीप जायसवाल एड,सिरताज प्रधान, गुलफाम अहमद प्रधान, सत्येंद्र मौर्य, केशरी नंदन जायसवाल, गुफरान, फुजैल खान, अशरफ़ जमाल, उस्मान गनी, तुफ़ैल खान, शहनवाज, नौसाद, आकाश, आरिफ, तनवीर आदि उपस्थित थे।
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