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सरकारी अस्पतालों में रेडियोलॉजिस्ट व पैथोलॉजिस्ट की नियुक्ति जरूरी, नहीं हो पाती है मरीजों की जांच

 रेडियोलॉजिस्ट व पैथोलॉजिस्ट की नियुक्ति में जहां स्वास्थ्य विभाग ध्यान नहीं दे रहा है। वहीं स्वास्थ्य विभाग के मंत्री भी केवल वादों कि पिटारा लिए दौरा कर रहे हैं।
 

जिला संयुक्त चिकित्सालय चकिया का हाल बेहाल

नहीं है कोई रेडियोलॉजिस्ट व पैथोलॉजिस्ट

नियुक्ति के लिए सरकारी विभाग दौड़ा रहे कागजी घोड़े  

चंदौली जिले के सरकारी अस्पतालों और प्राइवेट पैथोलॉजी केन्द्रों में होने वाली विभिन्न प्रकार जांचों को पैथोलॉजिस्ट के द्वारा न कराए जाने पर चिंता व्यक्त हुए हुए आईपीएफ राज्य कार्य समिति सदस्य अजय राय ने जिले के सभी सरकारी अस्पतालों में  हर हाल में रेडियोलॉजिस्ट व पैथोलॉजिस्ट नियुक्त करने की मांग उठाई है।  

अजय राय ने कहा कि  जिला संयुक्त चिकित्सालय चकिया में रेडियोलॉजिस्ट न होने से जहां लाखों रुपए की अल्ट्रासाउंड मशीन खराब हो रही हैं, वहीं बिना रेडियोलॉजिस्ट नियुक्त  किए वाले  प्राइवेट अल्ट्रासाउंड केन्द्र पर जांच कर रहे हैं । इसके कारण मरीजों  को सही रिपोर्ट नहीं मिलती है। साथ ही साथ  मरीजों का वहा आर्थिक दोहन भी होता है।

वैसे देखा जाए तो रेडियोलॉजिस्ट चिकित्सा विभाग के डॉक्टर होते हैं, जो मैडिकल इमेजिंग ( रेडियोलॉजी ) प्रक्रियाओं ( परीक्षा / परीक्षण) जैसे एक्स- रे, कंप्यूटेड टोपोग्राफी ( सीटी ) चुंबकीय अनुनाद इमेजिंग ( एमआरआई ), परमाणु चिकित्सा,पॉजिट्रॉन एमिशन टोपोग्राफी ( पीईटी) और अल्ट्रासाउंड कर विभिन्न रोगों के बारे में सही जानकारी देते हैं। वहीं पैथोलॉजिस्ट भी एक मेडिकल डॉक्टर की तरह ही होते हैं, जिसे मानव उत्तक , पेशाब और अन्य शारीरिक तरल पदार्थों का उपयोग करके चिकित्सा स्थितियों का अध्ययन की जानकारी होती है। इसलिए जब वे रिपोर्ट देते हैं तो उनकी रिपोर्ट सही होती है।

इसी काम के लिए उन्हें विशेष प्रशिक्षण भी दिया जाता है, लेकिन जिला संयुक्त चिकित्सालय चकिया में न तो रेडियोलॉजिस्ट हैं और न ही पैथोलॉजिस्ट हैं। अभी तक तमाम तरह की जांच टैब तकनीशियन के सहारे किया जाता हैं, जो उत्तकों , रक्त कणिकाएं  की जांच माइक्रोस्कोप के जरिए या अन्य  तरीके से करते हैं, जो कभी-कभी सटीक रिपोर्ट नहीं देता है। पैथोलॉजिस्ट की जांच की रिपोर्ट में अंतर आ जाता है।

 रेडियोलॉजिस्ट व पैथोलॉजिस्ट की नियुक्ति में जहां स्वास्थ्य विभाग ध्यान नहीं दे रहा है। वहीं स्वास्थ्य विभाग के मंत्री भी केवल वादों कि पिटारा लिए दौरा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि  जिला संयुक्त चिकित्सालय, शहाबगंज स्वास्थ्य केंद्र व नौगढ़ स्वास्थ्य केंद्र सभी रेफरल अस्पताल बन गए है। सभी जगह उन रोगों  के लिए दवा का अभाव है। इसलिए मरीजों के परिजनों को बाहर से दवा खरीदना पड़ता है।

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र शहाबगंज में 2009 स्वीकृत हुआ था, लेकिन आज तक मरीजों के इलाज के लिए तैयार नहीं हुआ है। चंदौली जनपद के प्रभारी मंत्री तक खोलने का आश्वासन दे चुके हैं,  लेकिन कुछ लोगों के अनुसार स्वीकृत धन का बंदरबांट कर ठेकेदार ही भाग गया है और चंदौली स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी कुछ नहीं कर पा रहे हैं।  चंदौली स्वास्थ्य विभाग की शह पर अवैध अस्पताल व जांच केन्द्र चल रहे हैं।

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