जिले का पहला ऑनलाइन न्यूज़ पोर्टलMovie prime

खेती और जल संरक्षण के लिए वरदान साबित हो रहे हैं बड़ौरा गांव के 24 तालाब

तालाबों से जहां भूजल स्तर सुधर रहा है, वहीं वर्षा के बाद खेतों में पानी की किल्लत भी नहीं हो रही है। यह प्रयास जल संकट की चुनौती से निपटने की दिशा में एक सकारात्मक कदम है।
 

बड़ौरा बना जल संरक्षण का मॉडल

2 दर्जन तालाबों से सिंचाई को मिली रफ्तार

खेती में दिखा जबरदस्त उत्साह

चंदौली जिले के शहाबगंज ब्लॉक स्थित बड़ौरा गांव जल संरक्षण और सतत कृषि विकास का आदर्श उदाहरण बनकर उभरा है। इस गांव में बने छोटे-बड़े 2 दर्जन तालाब न केवल जल संचयन का स्रोत हैं, बल्कि कृषि कार्यों के लिए भी वरदान साबित हो रहे हैं। इस गांव से जिले के अन्य गांवों को कुछ सीखने की जरूरत है। 

बड़ौरा गांव को आज 'तालाबों का गांव' कहना कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। यहां के ग्रामीणों में तालाब खुदवाने को लेकर जबरदस्त उत्साह देखा जा रहा है। कई ग्रामीण अपने खेतों की मेड़ पर छोटे-छोटे तालाब खुदवा रहे हैं, ताकि वर्षा जल को संरक्षित कर उसका उपयोग सिंचाई और खेती में किया जा सके।
गांव के वरिष्ठ किसान बताते हैं कि पहले बारिश के पानी पर ही खेती निर्भर थी, लेकिन अब तालाबों की मदद से रबी और खरीफ दोनों सीजन में बेहतर सिंचाई हो पा रही है। इससे फसल की पैदावार में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। सरकारी योजनाओं और ग्रामीणों की जागरूकता के चलते गांव में जल संरक्षण को लेकर एक नई सोच विकसित हुई है। स्थानीय प्रशासन और कृषि विभाग द्वारा भी तालाब खुदवाने और उन्हें सुरक्षित रखने के लिए ग्रामीणों को प्रोत्साहित किया जा रहा है।

कहा जा रहा है कि तालाबों से जहां भूजल स्तर सुधर रहा है, वहीं वर्षा के बाद खेतों में पानी की किल्लत भी नहीं हो रही है। यह प्रयास जल संकट की चुनौती से निपटने की दिशा में एक सकारात्मक कदम है। बड़ौरा गांव की यह पहल न सिर्फ जिले बल्कि पूरे प्रदेश के लिए प्रेरणा बन सकती है, जहां जल संरक्षण और कृषि सुधार एक साथ संभव हो पा रहे हैं।

इस गांव के ग्रामीणों में मानों तालाब खुदवाने का जुनून है। जिसका परिणाम है कि जल संरक्षण के साथ समय पर तालाब के पानी से फसलों की सिंचाई कर अधिक पैदवार भी ले रहे हैं। नहर खुलने पर खेत से पहले तालाब भरने का कार्य किसान करते हैं। गांव के महेंद्र नारायण सिंह, श्रीकृष्णा सिंह, गणेश पांडेय, चंद्रभान सिंह, मुरली सिंह, राजकपूर सिंह, ईश्वरी नारायण सिंह, लक्ष्मण सिंह, कृपाशंकर सिंह, विनोद सिंह के साथ दो तालाब ग्राम पंचायत के भी हैं। गांव में छोटे बड़े कुल 24 तालाब हैं।

जल संरक्षण के लिए तालाव महत्वपूर्ण तालाब जल संरक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण साधन हैं, जो ग्रामीणों को पानी की कमी से बचाते हैं। तालाब में मछली पालन किया जाता है, जो ग्रामीणों के लिए एक अतिरिक्त आय का स्रोत है। तालाब के जल से कृषि कार्य किया जाता है, जिससे फसलों की सिंचाई समय पर हो जाती है। तालाब के भीटों पर फलदार वृक्ष लगाए गए हैं, जो ग्रामीणों को फल प्रदान करते हैं। इन तालाबों की ही देने है कि गांव का जलस्तर बना हुआ है।
ग्रामीण शिवपूजन सिंह ने बताया कि तालाब से जल सरंक्षण के साथ भीटों पर फलदार वृक्ष के साथ इमारती लकड़ी के पेड़ लगाए हैं, जो आवश्यकता पड़ने पर काम आ सकता है। तालाब से हर क्षेत्र में लाभ ही लाभ है।

Tags

चंदौली जिले की खबरों को सबसे पहले पढ़ने और जानने के लिए चंदौली समाचार के टेलीग्राम से जुड़े।*