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बौद्ध स्थल घुरहूपुर में बौद्ध महोत्सव का आयोजन, गूंजी बुद्धम् शरणम् गच्छामि की आवाज

बौद्ध महोत्सव के दौरान घुरहूपुर पहाड़ी की चप्पे-चप्पे पर चकिया कोतवाली पुलिस, न्यायालय सुरक्षा में लगी पुलिस तथा पीएसी के जवान तैनात रहे।
 

घुरहूपुर में आयोजित बौद्ध महोत्सव में चर्चा

डॉ परशुराम सिंह ने बुद्ध के विचारों से कराया सबको अवगत

आज के समय में बुद्ध के विचारों को अपनाने की जरूरत 

चंदौली जिला की चकिया कोतवाली क्षेत्र के बौद्ध स्थल घुरहूपुर में शनिवार को बौद्ध महोत्सव का आयोजन किया गया। इसका शुभारंभ भगवान बुद्ध के तैलचित्र पर पुष्प अर्पित करने के साथ ही दीप प्रज्वलित कर किया गया। उसके बाद उपस्थित बौद्ध भिक्षुओं ने पंचशील के नियमानुसार धूप, मोमबत्ती जलाकर बुद्धम् शरणम् गच्छामि, धम्मम् शरणम् गच्छामि के उद्घोष किया। इससे घुरहूपुर का बौद्ध स्थल बौद्ध मय हो उठा।

मुख्य वक्ता वृक्ष बंधु डॉक्टर परशुराम सिंह ने कहा कि ने कहा कि आज के माहौल में भगवान बुद्ध का विचार प्रासंगिक हो गया है। भगवान बुद्ध का मध्यम मार्ग और अष्टांगिक मार्ग जीवन को संतुलित और शांतिपूर्ण बनाने की दिशा दिखाता है।

नई दिल्ली की सुमेधा बौद्ध ने कहा कि बौद्ध का धम्म दुनिया में सर्वोपरि है। बुद्ध के उपदेश आज भी समाज के नैतिकता करुणा और अहिंसा का संदेश देते हैं, वर्तमान समय में बुद्ध के विचार मानवता के लिए अत्यंत प्रासंगिक हैं। उन्होंने भगवान बुद्ध के साथ डॉ भीमराव अंबेडकर का चित्र प्रत्येक घरों में लगाकर उनसे प्रेरणा लेने की बात कही।

सुहेलदेव पार्टी के जिला अध्यक्ष आनंद राजभर ने कहा कि घुरहूपुर की धरती भगवान बुद्ध की तपोस्थली रही है। इस तपोस्थली का प्रचार प्रसार करने वाले सुशील त्रिपाठी आज हम लोगों के बीच भले ही नहीं रहे, लेकिन उनकी स्मृतियां घुरहूपुर के पटल पर सदैव जीवंत रहेंगी।

बौद्ध महोत्सव के दौरान घुरहूपुर पहाड़ी की चप्पे-चप्पे पर चकिया कोतवाली पुलिस, न्यायालय सुरक्षा में लगी पुलिस तथा पीएसी के जवान तैनात रहे। वही पूरे महोत्सव के दौरान चार्ट पकौड़ी और साहित्य की दुकानें सजी रही।

कार्यक्रम में भंते अशोक बंश, भंते धम्म चक्रधारी, भते  नागसेन, शील रतन, स्वरक्षित,, भंते प्रकाश रतन, भीक्खू धम्म प्रकाश, दीपक, आनंद प्रकाश नारायण, श्रीकांत मौर्य, दिनेश यादव, झारखंडे राजभर, मुराहू राजभर, राकेश पाठक आदि लोग मौजूद रहे। अंत में बौद्ध प्रार्थना के साथ कार्यक्रम का समापन किया गया। कार्यक्रम का संचालन सुधाकर मौर्या ने किया।

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