चकिया के बंदरों को पकड़ने के लिए आ रही थी मथुरा की टीम, एक बंदर पर खर्च आएंगे 375 रुपये
बंदरों को पकड़ने के लिए जागी नगर पंचायत
बुलायी जा रही है मथुरा की टीम
बंदर पकड़ने के लिए बन गया है प्लान
हर बंदर के लिए 375 रुपये किए जाएंगे खर्च
चंदौली जिले के चकिया नगर में बंदरों के उत्पात से आजिज आ चुके नागरिकों के लिए राहत भरी खबर मिली है। बंदरों को पकड़ने के लिए नगर प्रशासन की ओर से एक बंदर पर 375 रुपये खर्च करने का प्लान बनाया गया है । इसके लिए टेंडर की प्रक्रिया भी पूर्ण कर ली गई है। होली बाद मथुरा की टीम बंदरों को पकड़ने का काम करेंगी ।
आपको बता दें कि वर्ष 2017-18 में बड़ी संख्या में बनारस के बंदरों को चंद्रप्रभा अभयारण्य के जलेबिया मोड़ के जंगलों में छोड़ा गया था। शहरी रहन-सहन के आदि बंदर कुछ दिनों तक तो वनों में भटके इसके बाद धीरे-धीरे इनका कुनबा बनीं के किनारे स्थित इंसानी बस्तियों की और बढ़ने लगा। नतीजा यह हुआ कि दो-तीन वर्षों में ही गांवों में इनकी आबादी हजार के पार पहुंच गई।
आप जानते ही हैं कि आये दिन उत्पाती बंदर गरीबों के खपरैल के मकान को उजाड़ने लगते है। इन बंदरो ने बीघे दो बीघे की खेती कर परिवार का भरण पोषण करने वाले किसानों की भी नींद हराम कर दी है। चाहे गेहूं की फसल हो या फिर सब्जी बचा पाना मुश्किल हो गया है। अब तो नगरों में भी बंदरों की उपस्थिति बड़ी संख्या में हो गई है। पक्के मकानों की बालकनी इनका स्थायी ठिकाना बन गई है। रात हो या दिन ये जहां पहुंच जा रहे वहां से टस से मस नहीं हो रहे हैं। यदि किसी से जरा सी चूक हुई तो अस्पताल जाना पड़ रहा है। अब तक दर्जनों लोगों को बंदर की वजह से जख्मी हो चुके हैं।
विडंबना यह है कि उत्पाती बंदर अब सड़कों पर खेल रहे बच्चों को भी जख्मी कर रहे हैं। इससे अभिभावकों की मुश्किलें बढ़ गई है । बंदरों के उत्पात की जानकारी होने के बावजूद वन विभाग बंदरों से निजात को लेकर उदासीन बना हुआ है। विभागीय अधिकारी संसाधन नहीं होने की दौहाई देकर अपना पल्ला झाड़ लेते हैं।
आपको बता दें कि बीते दिनों नगर पंचायत बोर्ड की बैठक में सभासदों ने नागरिकों की मुश्किलों को देखते हुए चेयरमैन से बंदरों को पकड़वाने की मांग की थी। इसके बाद बंदरों से निजात को टेंडर की प्रक्रिया पूर्ण की गई। होली बाद मथुरा की टीम बंदरों को पकड़ने की कार्रवाई अमल में लाएगी। इससे नागरिकों को राहत मिलेगी।
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