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चंदौली में बाढ़ प्रभावितों को राहत में 'खानापूर्ति' का आरोप, अधिकारी रो रहे फंड का रोना

बाढ़ प्रभावित लोगों ने आरोप लगाया है कि सत्ता पक्ष या विपक्ष, किसी भी जनप्रतिनिधि ने उनकी सुध नहीं ली।
 

चकिया-शहाबगंज इलाके में राहत कार्यों पर सवाल

केवल सर्वे करके दिया जा रहा आश्वासन

आधे-अधूरे लोगों को बांटी जा रही है राहत सामग्री

चंदौली जिले में बाढ़ और एक दिन की भारी बारिश से हुए व्यापक नुकसान के बाद राहत कार्यों की धीमी गति पर सवाल उठने लगे हैं। 'धान का कटोरा' कहे जाने वाले इस जनपद में भारी बारिश ने जहां गरीबों और किसानों के लिए बड़ी मुसीबत खड़ी कर दी है, वहीं जिला प्रशासन, सिंचाई विभाग और सत्ताधारी जनप्रतिनिधियों के विकास कार्यों के दावों की पोल भी खोल दी है। मिट्टी के घरों के लगातार ढहने की खबरें अभी भी जारी हैं।

एआईपीएफ नेता अजय राय ने उठाए सवाल
ऑल इंडिया पीपुल्स फोरम (AIPF) के राज्य कार्य समिति सदस्य अजय राय ने राहत कार्यों में हो रही देरी और केवल 'खानापूर्ति' को लेकर जिला प्रशासन पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि एक सप्ताह से केवल सर्वे का काम चल रहा है और मात्र कुछ ही लोगों को राहत पैकेट दिए गए हैं।

राय ने खंड विकास अधिकारी (BDO) शहाबगंज से मिलकर खखड़ा और रसिया सहित कई प्रभावित गांवों का मुद्दा उठाया, जहां लोगों के घरों में पानी भर गया था और कच्चे मकान ढह गए थे। उन्होंने बताया कि ब्लॉक मुख्यालय से अधिकारियों का रटा-रटाया जवाब मिल रहा है कि "राहत देने के लिए हमारे पास कोई फंड नहीं है, हम कैसे मदद करें।"

अजय राय ने उपजिलाधिकारी चकिया से भी चकिया तहसील के बाढ़ प्रभावित इलाकों में तत्काल राहत सामग्री पहुंचाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि राहत और मुआवजे की जगह केवल सर्वे किया जा रहा है, जिससे प्रभावित लोगों में भारी गुस्सा है।

रसिया गांव में बड़ा हादसा टला, पिता-पुत्र घायल
शहाबगंज थाना क्षेत्र के रसिया गांव में सोमवार को एक बड़ा हादसा होते-होते टल गया। लगातार बारिश से भीगी एक जर्जर दीवार अचानक भरभराकर गिर गई, जिसके मलबे में पिता और पुत्र दब गए। रसिया गांव निवासी लालता राम (62 वर्ष) अपने पुत्र लाल बहादुर शास्त्री (25 वर्ष) के साथ कच्चे मकान के पास रखी ईंटें हटा रहे थे, तभी यह हादसा हुआ।

घटना की आवाज सुनकर आसपास के ग्रामीण तुरंत मौके पर पहुंचे और बिना समय गंवाए मलबा हटाकर दोनों को सुरक्षित बाहर निकाला। ग्रामीणों की तत्परता से दोनों की जान बच गई। उन्हें तत्काल 108 एम्बुलेंस के माध्यम से जिला चिकित्सालय चकिया भेजा गया, जहां उनका इलाज जारी है। डॉक्टरों के अनुसार, दोनों की हालत खतरे से बाहर है।

मुआवजे की मांग को लेकर चक्का जाम
प्रशासन से राहत और मुआवजा न मिलने से लोगों का गुस्सा फूट पड़ा है। इसी के चलते पचोखर गांव के पास किसानों को चक्का जाम करना पड़ा। हसनपुर, मछरिया, डिहुलिया पर, परमानंदापुर सहित कई गांव गडई नदी से बुरी तरह प्रभावित हुए हैं, और हजारों घर ढहने की कगार पर हैं।

जनप्रतिनिधियों पर खानापूर्ति का आरोप
बाढ़ प्रभावित लोगों ने आरोप लगाया है कि सत्ता पक्ष या विपक्ष, किसी भी जनप्रतिनिधि ने उनकी सुध नहीं ली। लोगों ने कहा कि "कुछ लोग आए भी तो केवल खानापूर्ति करके चले गए।" हालांकि, लोगों ने जिलाधिकारी के व्यक्तिगत प्रयासों को संवेदनशील बताया है।

एआईपीएफ नेता अजय राय ने सरकार और प्रशासन से मांग की है कि बाढ़ प्रभावित इलाकों में तत्काल मुआवजा और राहत पहुंचाई जाए। उन्होंने मिट्टी के घरों में रह रहे गरीबों को तुरंत प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवास देने की भी मांग की है, क्योंकि 'एक दिन की बरसात' ने आवास योजना के दावों की भी पोल खोल दी है। उन्होंने चेतावनी दी है कि फंड की कमी का बहाना बनाकर राहत कार्यों को रोका जाना अस्वीकार्य है।

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