कंपोजिट विद्यालय भभौरा से लीजिए सबक, ऐसे तैयार हो रहे सरकारी स्कूल के बच्चे
जिला बेसिक शिक्षा विभाग का एक विद्यालय ऐसा भी
अध्यापकों ने मेहनत करके बढ़ायी है विद्यालय परिसर की सुंदरता
प्रधानाचार्य प्रवीण पांडेय की होती है तारीफ
कहते हैं जब कुछ कर गुजरने की तमन्ना हो तो राह में आने वाली मुश्किलें भी मुकाम की तरह आगे बढ़ने से नहीं रोक पाती हैं। कुछ ऐसा ही चंदौली के जिला बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा संचालित चकिया के भभौरा स्थित कंपोजिट विद्यालय के अध्यापकों में देखने को मिलता है। यहाँ के अध्यापकों ने अपनी मेहनत व लगन से विद्यालय के शैक्षणिक माहौल में चार चांद लगा दिया है।
एक तरफ यहाँ की प्राकृतिक छटा ने इस विद्यालय के माहौल को रमणीक बनाने कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है तो दूजी ओर प्रधानाचार्य प्रवीण पांडेय के नेतृत्व में अध्यापकों ने विद्यालय परिसर की सुंदरता में निखार ला दिया है। विद्यालय परिसर में घुसते ही यहां के बच्चों के पढ़ने की तोतली आवाज बरबस इस कैम्पस की ओर लोगों को देखने के लिए मजबूर कर देती हैं।
विद्यालय में सरकार द्वारा प्रदत्त पाल लैब व ऐस्ट्रो लैब को भी यहां के शिक्षकों ने व्यवस्थित तरीके से सजाया है, जिसमें घुसते ही बच्चों की जिज्ञासायें बढ़ने लगती हैं। ऐस्ट्रो लैब में बच्चे जहां चाँद, तारे, सूरज के साथ ही ग्रह व नक्षत्र को टेलिस्कोप के माध्यम से देखते हैं, वहीं यहां के बच्चों को अध्यापक उपकरणों के माध्यम से दिन रात कैसे होते हैं और चंद्र व सूर्य ग्रहण कैसे होता है, के बारे विस्तार से बताते हैं। जिसका परिणाम है कि इस छोटे से गांव में बच्चों की छात्र संख्या भी मानक से अधिक है। अध्यापकों के अनुसार पाल लैब और ऐस्ट्रो लैब से बच्चों में विज्ञान के प्रति अभिरुचि भी बढ़ी है।
इसके साथ ही पाल लैब में नीति आयोग द्वारा मिले टैबलेट से बच्चों को अपना पाठ समझने में सहजता भी हुई है।ग्रामीण परिवेश से आये जब यहां के बच्चे टैबलेट पर अपनी उंगलियों को घुमाते हैं तो हर कोई चकित होकर देखता ही रह जाता है।
इसके अलावा यहां पर सुसज्जित लाइब्रेरी भी है, जिसमें बच्चे अपनी अभिरुचि के हिसाब से किताबें निकाल कर पढ़ते हैं और जरूरत समझ में आने पर उसे पढ़ने के लिए घर भी ले जाते हैं। लाइब्रेरी में कामिक्स, प्रेरक कहानियों और महान विभूतियों से संबंधित किताबें रखी हुई हैं, जिनसे बच्चों में कुछ बनने के हौसले को मजबूती मिलती है।
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