बदहाल कृषि रक्षा केंद्र बना किसानों के लिए बोझ, चकिया के इस केन्द्र को देखने कभी नहीं गए जिला कृषि अधिकारी

चकिया का राजकीय कृषि रक्षा केंद्र जर्जर स्थिति में पहुंचा
केवल ऑफिस में बैठकर जानकारी देते रहते हैं साहब
किसानों को नहीं मिल रही समय पर कीटनाशक दवाएं
बाजार की महंगी और घटिया दवाएं खरीदने को मजबूर किसान
चंदौली जिले के चकिया में एक ओर जहां सरकार किसानों की आय दोगुनी करने का दावा कर रही है, वहीं दूसरी ओर चकिया ब्लॉक मुख्यालय स्थित राजकीय कृषि रक्षा केंद्र की हालत इन दावों की पोल खोल रही है। अस्सी के दशक में लगभग पांच लाख की लागत से बना यह भवन आज जर्जर अवस्था में पहुंच चुका है। ना केवल भवन बदहाल है, बल्कि किसानों को मिलने वाली सुविधाएं भी नाम मात्र की रह गई हैं।

वर्ष 2010 के बाद बंद हो गई थी कीटनाशक आपूर्ति
किसानों के अनुसार वर्ष 2010 के बाद से इस केंद्र से कीटनाशक दवाओं की आपूर्ति बंद कर दी गई थी। हालांकि पिछले कुछ वर्षों से कुछ दवाएं — जैसे प्रोफेनी फास, मैलाथीयान, क्लोरोपाइरी फास — 50% अनुदान पर उपलब्ध कराई जा रही हैं, लेकिन जानकारी के अभाव में किसान अब भी इन्हें बाजार से ऊंचे दामों पर खरीदने को मजबूर हैं।

बाजार की दवाएं महंगी और गुणवत्ताहीन
किसान पप्पू तिवारी, कमलेश पांडेय, देश राज सिंह और पारस मौर्य का कहना है कि बाजार से मिलने वाले कीटनाशक महंगे और कई बार घटिया क्वालिटी के होते हैं। इन दवाओं की गुणवत्ता की नियमित जांच जरूरी है, ताकि किसान ठगे न जाएं।
भवन निर्माण योजना अधर में
वर्ष 2020 में पूर्व ब्लॉक प्रमुख शिवेंद्र सिंह ने क्षेत्र पंचायत निधि से भवन के जीर्णोद्धार का प्रस्ताव पारित कराया था, लेकिन विभागीय असहमति के चलते यह योजना अमल में नहीं आ सकी। पिछले वर्ष जब अधिकारियों की टीम ने निरीक्षण किया तो भवन को पूरी तरह अनुपयोगी मानते हुए नए भवन निर्माण का प्रस्ताव शासन को भेजा गया है।
विभागीय सफाई
इस संबंध में सहायक विकास अधिकारी (कृषि) अजीत कुमार ने बताया कि किसानों को कीटनाशक उपलब्ध कराने का प्रयास निरंतर किया जा रहा है। नए भवन निर्माण के लिए जिला मुख्यालय से प्राक्कलन तैयार कर शासन को भेजा गया है।
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