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धनुष टूटते ही सीता जी ने राम के गले में डाली जय माल, जय श्रीराम का हुआ उद्घोष, माहौल हुआ भक्तिमय

राजागण के धनुष न तोड़ पाने के कारण निराश राजा जनक को देखकर गुरु विश्वामित्र का इशारा पाकर राम धनुष की प्रत्यंचा चढ़ाते हैं तो अन्य राजा आश्चर्यचकित हो जाते हैं।
 
चंदौली जिला के शहाबगंज विकासखंड अंतर्गत बेन गांव के हनुमान मन्दिर पर चल रहे नौ दिवसीय संगीतमय श्रीरामकथा के छठवें दिन रविवार को कथा वाचिका मानस मयूरी शालिनी त्रिपाठी ने धनुष यज्ञ की कथा में सीता राम विवाह का प्रसंग सुनाया।

उन्होंने कहा कि फुलवारी में भक्ति और ज्ञान के मिलन के बाद राजा जनक गुरु विश्वामित्र के साथ भगवान राम व लक्ष्मण को धनुष यज्ञ शाला ले गए। जहां पर देश विदेश के राजा सुंदर सिंहासन पर विराजमान थे। राजा जनक ने अपनी प्रतिज्ञा के बारे में सभी को अवगत कराया कि जो इस धनुष को तोड़ेगा उसके साथ पुत्री सीता का विवाह होगा। सभी राजाओं ने बारी-बारी से धनुष तोड़ने का प्रयास किया लेकिन सभी असफल रहे। रावण भी धनुष तोड़ने का प्रयास करता है लेकिन एक भविष्यवाणी ने उसे विचलित कर दिया।

Dhanush Yagya Katha

राजागण के धनुष न तोड़ पाने के कारण निराश राजा जनक को देखकर गुरु विश्वामित्र का इशारा पाकर राम धनुष की प्रत्यंचा चढ़ाते हैं तो अन्य राजा आश्चर्यचकित हो जाते हैं। धनुष टूटने के बाद राम व सीता एक-दूसरे के गले में जयमाल डाल देते हैं। धनुष टूटते ही मंच से फूलों की वर्षा शुरू होती है। उपस्थित श्रोताओं ने जय श्रीराम का उद्घोष करके पूरे माहौल को राममय बना दिया।

 इस मौके पर पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष छत्रबली सिंह, सरिता सिंह, वीरेंद्र द्विवेदी, प्रताप नारायण द्विवेदी, रिंकू फौजी, देव प्रकाश द्विवेदी, कन्हैया जायसवाल, अमरनाथ गुप्ता, माधुरी ,सुनैना, रागिनी ,उदय प्रताप ,राहुल, सोनू सहित बड़ी संख्या में महिला एवं पुरुष श्रद्धालु उपस्थित थे ।

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