जिले का पहला ऑनलाइन न्यूज़ पोर्टलMovie prime

संघर्षों के पथ प्रदर्शक हैं डॉक्टर अम्बेडकर, आईपीएफ ने भी किया याद

जिले के आईपीएफ नेता ने  डॉक्टर भीम राव अम्बेडकर जी के मूर्ति पर माल्यार्पण करके देश के लोगों से अपील की कि बाबा साहब की जयंती को कर्मकाण्ड के रुप में नहीं उनके विचारों के रुप में मनाने की कोशिश करनी चाहिए।
 

 डॉ. भीम राव अम्बेड़कर जी का जयंती का आयोजन

आईपीएफ  नेता अजय राय ने की चर्चा

कहा  कि कर्मकाण्ड के रुप में नहीं उनके विचारों के रुप में मनाएं जयंती

चंदौली जिले में डॉ बी.आर. अम्बेडकर की जयंती पर उन्हें हम याद और किसी तरह का आयोजन हम कोई कर्मकाण्ड के लिए नहीं, बल्कि हमारे सामाजिक कर्मों पर विचार-विमर्श और संषर्ष के संकल्प  के लिए मनाते हैं। ऐसा ही विचार रखते हुए  चकिया में डूही सूही में  मजदूर किसान मंच जिला प्रभारी अजय राय ने डा. भीम राव अम्बेडकर जी के जयंती पर उनके संघर्षों पर याद करते हुए प्रतिमा पर माल्यार्पण किया और संविधान बचाने के लिए अपील की।

 
उन्होंने कहा कि दो दशक के शुरुआत से ही संघ के नेतृत्व में हिंदुत्ववादी शक्तियां  अपनी राजनैतिक योजना के हिसाब से डॉ. अंबेडकर का उपरी तौर पर अपनाने में लगी हैं। इसलिए अंबेडकर को हिन्दू राष्ट्र का समर्थक, आरएसएस का शुभचिंतक और पाकिस्तान विरोधी अखण्ड भारत का समर्थक सिद्ध करने की लगातार कोशिश की जाती रही है। अंबेडकर को फॉल्स गॉड और अंग्रेज समर्थक साबित करने की प्रक्रिया में मुँह की खा चुके संघ के विचारकों ने अंबेडकर को गले लगाने का नया पैंतरा अपनाया है। इसके तहत झूठ पर आधारित अनर्गल तथ्यों को सामने रखकर अंबेडकर को हिन्दू के प्रतीक के रूप में पेश करने की कोशिश चल रही है।

पिछले आम चुनाव में  दलितों पिछड़ों और आदिवासियों के उल्लेखनीय समर्थन से संघ-बीजेपी को जो चुनावी सफलताएं मिलीं, उससे हिंदुत्व की ताकतों को अंबेडकर को अपनाने और उसका व्यापक प्रचार करने के प्रति और अधिक उत्साह पैदा हुआ है। यह एक किस्म का वैचारिक दुस्साहस ही कहा जाएगा कि अंबेेडकर जैसे हिंदुत्व विरोधी और प्रगतिशील-लोकतांत्रिक विचारक व नेता को हिंदुत्व के खांचे में समाहित करने का प्रयास किया जाए, क्योंकि जब हम डॉ. अंबेडकर के लेखन और उनकी प्रस्थापनाओं से होकर गुजरते हैं तो यह पाते हैं कि वे हिन्दू धर्म, हिंदुत्व की राजनीति और हिन्दू राष्ट्र की अवधारणा के प्रबल विरोधी थे।

सबसे पहली बात यह समझना जरूरी है कि डॉ. अंबेडकर हिन्दू धर्म को धर्म मानने के लिए ही तैयार नहीं थे। उनके अनुसार हिन्दू धर्म वर्ण व्यवस्था से अलग कुछ भी नहीं है। इसका एकमात्र आधार जाति व्यवस्था है और जाति के समाप्त होते ही हिन्दू धर्म का कोई अस्तित्व नहीं रह जायेगा। अपने प्रसिद्ध लेख ‘जातिप्रथा उन्मूलन’ में बाबा साहब डॉ. अंबेडकर ने लिखा है-सबसे पहले हमें यह महत्वपूर्ण तथ्य समझना होगा कि हिन्दू समाज एक मिथक मात्र है। उन्होंने जो कहा उसे हमें समझना होगा व भाजपा के हर साजिश को बेनकाव करना होगा। भाजपा जहॉ इस समय डा.अम्बेड़कर को अपनाने में लगी है, वहीं दूसरी तरफ दलित हितों पर लगातार कुठाराघात  भी कर रही है।

चंदौली जिले की खबरों को सबसे पहले पढ़ने और जानने के लिए चंदौली समाचार के टेलीग्राम से जुड़े।*