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DAP के लिए महिला किसानों को भी लगानी पड़ रही है लाइन

गेहूं की बोआई के लिए आवश्यक डीएपी की किल्लत से किसान एक पखवाड़े से जूझ रहे हैं। इससे हर सरकारी समितियों पर खाद के लिए किसानों में धक्का-मुक्की हो रहा है।
 

सहकारी समितियां पर डीएपी के लिए हो रहा धक्कामुक्की

जिम्मेदार लोग भी नहीं निकाल रहे कोई ठोस उपाय

किल्लत से हर किसान हो रहे हैं परेशान

 हर साल चंदौली जिले के किसानों को गेहूं की बुवाई के समय खाद की किल्लत का सामना करना पड़ता है इस समस्या को लेकर अधिकारी हर साल तरह-तरह के आश्वासन देते हैं लेकिन समस्या जिसकी तस्वीर बनी हुई है एक बार फिर गेहूं की बुवाई के लिए परेशान किसान खाद के लिए लाइन लग रहे हैं अबकी बार पुरुषों के साथ-साथ महिलाएं भी लाइन में खड़ी होकर खाद के लिए मशक्कत कर रही हैं।

चंदौली जिले के चकिया क्षेत्र के शिकारगंज में गेहूं की बोआई के लिए आवश्यक डीएपी की किल्लत से किसान एक पखवाड़े से जूझ रहे हैं। इससे हर सरकारी समितियों पर खाद के लिए किसानों में धक्का-मुक्की हो रहा है। हालत यह है कि समितियों पर जल्दी और पर्याप्त डीएपी लेने के लिए महिला किसान भी लाइन लगा रहीं हैं।

आपको बता दें कि चकिया विकासखंड में किसानों को उर्वरक उपलब्ध कराने के लिए किसान सेवा सहकारी समिति चकिया, किसान सेवा सहकारी समिति सिकंदरपुर किसान सेवा सहकारी समिति उतरौत, किसान सेवा सहकारी समिति शिकारगंज, साधन सहकारी समिति रामपुर कला के अतिरिक्त क्रय विक्रय सहकारी समिति पूर्वी बाजार चकिया में विक्रय केंद्र स्थापित किए गए हैं। जहां किसानों को आधार कार्ड से अंगूठा लगवा कर एक से दो बोरी उर्वरक प्रति किसान उपलब्ध कराई जा रही है।

बताते चलें कि डीएपी उर्वरक की कीमत के दौर में स्थानीय प्रशासन भी खाद के वितरण के लिए कोई ठोस उपाय नहीं कर रहा है। जिससे समितियों पर धक्का मुक्की का दौर जारी है।

इस संबंध में विकासखंड के सहायक विकास अधिकारी सहकारिता शरद कुमार सिंह का कहना है कि समितियों पर किसानों की मांग के अनुसार डीएपी और यूरिया उपलब्ध कराई गई है। उर्वरक की खेप आ रही है और सभी किसानों को डीएपी और यूरिया उपलब्ध कराने के लिए विभाग प्रतिवद्ध है। अगर कहीं पर थोड़ी बहुत समस्या हो रही है तो उसका जल्द से जल्द समाधान ढूंढ लिया जाएगा।

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