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इलिया में जारी है गायत्री महायज्ञ, प्रज्ञा पुराण कथा सुना रहे डॉक्टर सुनील शर्मा

कथावाचक डॉ सुनील शर्मा ने कहा कि कर्म तीन प्रकार के होते हैं संचित कर्म, क्रियमाण कर्म और प्रारब्ध कर्म। मनुष्य कर्म करने में स्वतंत्र है किंतु परिणाम उसे किस कर्म का मिलेगा यह निश्चित नहीं है।
 

कथा में बोले सुनील शर्मा- सत्कर्म सुख की कुंजी व दुष्कर्म दुख का भंडार

सत्कर्म करने वाला परमात्मा को हो जाता है प्रिय

जीवन में दुःखों से छुटकारा पाने का एक ही सहारा

चंदौली जिला के शहाबगंज विकासखंड अंतर्गत इलिया कस्बा के संत कबीर उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के प्रांगण में आयोजित चार दिवसीय 24 कुंडीय गायत्री महायज्ञ के दूसरे दिन प्रज्ञा पुराण कथा को सुनाते हुए शांतिकुंज हरिद्वार से पधारे कथावाचक डॉ सुनील शर्मा ने कहा कि सत्कर्म सुख की कुंजी और दुष्कर्म दुःख का भंडार है। व्यक्ति को सदैव सजग रहकर सत्कर्म करने चाहिए, कर्मयोगी पुरुष किसी भी साधु संत महात्मा से कम नहीं होता। सत्कर्म करने वाले का परमात्मा की दृष्टि में वही महत्व है जो एक सिद्ध संत का होता है, इसलिए परमात्मा का प्यार पाना है तो उसे सदैव सत्कर्म करना चाहिए।

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 कथावाचक डॉ सुनील शर्मा ने कहा कि कर्म तीन प्रकार के होते हैं संचित कर्म, क्रियमाण कर्म और प्रारब्ध कर्म। मनुष्य कर्म करने में स्वतंत्र है किंतु परिणाम उसे किस कर्म का मिलेगा यह निश्चित नहीं है, अगर श्रेष्ठ कर्म किए जाएं तो जीवन में दुःखों से छुटकारा मिल जाता है और जीवन का उत्तरोत्तर विकास होता है। कहा कि मनुष्य को कर्मों के बंधन से छूटने का एकमात्र उपाय भी सत्कर्म ही है। सत्कर्म करने वाला व्यक्ति परमात्मा के नजदीक हो जाता है और परमात्मा का प्रिय हो जाता है। ईश्वर उसके दुःख को सुख में बदल देता है।

  इस अवसर पर ग्राम प्रधान सुरेंद्र गुप्ता, डॉ राजकुमार गुप्ता, दिलीप गुप्ता, डॉ एके सिंह, निरुपमा केशरी, रानी देवी, उमा जायसवाल, उजाला गुप्ता, विभा देवी  बीना देवी, पूजा गुप्ता आदि कथा प्रेमी उपस्थित रहे।

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