जिले का पहला ऑनलाइन न्यूज़ पोर्टलMovie prime

महाबोधि महाविहार मुक्ति आंदोलन के समर्थन में रैली निकालकर सौंपा गया ज्ञापन, जानिए क्या है मांगें ​​​​​​​

बताते चलें कि प्रदर्शनकारियों ने ब्रिटिश काल में लागू किए गए BT एक्ट 1949 (Bodh Gaya Temple Act) को रद्द करने की मांग की,
 

महाबोधि महाविहार मुक्ति आंदोलन के समर्थन में चकिया में बौद्ध अनुयायियों का जोरदार प्रदर्शन

राष्ट्रपति के नाम सौंपा गया ज्ञापन

चंदौली जिले के चकिया तहसील क्षेत्र में मंगलवार को एक ऐतिहासिक सामाजिक जागरूकता आंदोलन का साक्षी बना, जब महाबोधि महाविहार मुक्ति आंदोलन के समर्थन में बौद्ध समुदाय के सैकड़ों अनुयायियों ने एक विशाल रैली निकालते हुए सरकार से अपनी ऐतिहासिक और धार्मिक धरोहर को वापस लौटाने की पुरज़ोर मांग की।

बताते चलें कि प्रदर्शनकारियों ने ब्रिटिश काल में लागू किए गए BT एक्ट 1949 (Bodh Gaya Temple Act) को रद्द करने की मांग की, जिसे वे बौद्ध धर्म और समुदाय के अधिकारों पर हस्तक्षेप मानते हैं। बौद्ध अनुयायियों का कहना है कि महाबोधि महाविहार, जो भगवान बुद्ध के ज्ञान प्राप्ति का पवित्र स्थल है। उसकी देखरेख और प्रशासन बौद्ध समुदाय के हाथों में ही होना चाहिए।

सोनहुल से शुरू होकर चकिया तक विशाल रैली
सुबह सोनहुल गांव से शुरू हुई यह रैली चकिया नगर के मुख्य मार्गों से होती हुई तहसील मुख्यालय पहुंची। इस शांतिपूर्ण रैली में पुरुष, महिलाएं, युवा और बच्चे पारंपरिक बौद्ध वेशभूषा में शामिल हुए। उनके हाथों में "महाबोधि हमारी धरोहर है", "BT एक्ट 1949 रद्द करो", "बुद्ध भूमि बौद्धों को दो" जैसे नारे लिखे हुए बैनर और पोस्टर थे। रैली के दौरान अनुशासन और शांति का उदाहरण प्रस्तुत करते हुए बौद्ध अनुयायियों ने नगरवासियों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया।

 सौंपा गया राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन
रैली के समापन पर चकिया तहसील कार्यालय पहुंचकर एक प्रतिनिधि मंडल ने उपजिलाधिकारी (SDM) महोदय को राष्ट्रपति के नाम संबोधित  ज्ञापन सौंपा। इस ज्ञापन में निम्नलिखित प्रमुख मांगें रखी गईं:

v

1. महाबोधि मंदिर को पूर्णतः बौद्ध अनुयायियों को सौंपा जाए।


2. BT एक्ट 1949 को तत्काल प्रभाव से रद्द किया जाए।


3. बौद्ध स्थलों पर बौद्ध अनुयायियों का पूर्ण अधिकार सुनिश्चित किया जाए।


4. बौद्ध धर्मावलंबियों के सामाजिक, सांस्कृतिक और धार्मिक अधिकारों की रक्षा की जाए।

v


इस अवसर पर बौद्ध धर्मगुरुओं और आंदोलन से जुड़े नेताओं ने सभा को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि महाबोधि मंदिर न केवल बौद्ध समुदाय की आस्था का केंद्र है, बल्कि यह संपूर्ण विश्व में बौद्ध धर्म की पहचान है। फिर भी, दुर्भाग्यवश यह मंदिर अभी तक बौद्धों के नियंत्रण में नहीं है, जो उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।

एक वक्ता ने कहा, "हमारा यह आंदोलन किसी के खिलाफ नहीं, बल्कि अपने धर्म, संस्कृति और अधिकारों की वापसी के लिए है। महाबोधि महाविहार बौद्धों की धरोहर है और उसे बौद्ध समुदाय को लौटाना न्यायसंगत होगा।"

v

संपूर्ण आंदोलन शांतिपूर्ण और अनुशासित रहा
प्रशासन की ओर से सुरक्षा के पर्याप्त इंतज़ाम किए गए थे, जिससे रैली शांतिपूर्ण और व्यवस्थित तरीके से संपन्न हुई। पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों ने अनुशासित प्रदर्शन के लिए बौद्ध अनुयायियों की सराहना की।

महाबोधि महाविहार मुक्ति आंदोलन अब धीरे-धीरे देशभर में गति पकड़ रहा है। चकिया में हुआ यह आयोजन न सिर्फ स्थानीय स्तर पर, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर बौद्ध समुदाय की एकजुटता और अधिकारों के लिए जागरूकता का संकेत देता है।

चंदौली जिले की खबरों को सबसे पहले पढ़ने और जानने के लिए चंदौली समाचार के टेलीग्राम से जुड़े।*