युवाओं ने अखाड़ों में दिखाए हैरत अंगेज करतब, शांतिपूर्ण माहौल में संपन्न हुआ मोहर्रम का जुलूस
धार्मिक भावनाओं के साथ देशभक्ति भी आई नजर
ताजिए कर्बला में हुए दफ्न
पुलिस की व्यवस्था रही चौकस
चंदौली जिले के शहाबगंज इलाके में हजरत इमाम हसन-हुसैन की सच्चाई के प्रति बलिदान की याद में मुहर्रम पर्व क्षेत्र में शांति एवं सौहार्दपूर्ण माहौल में मनाया गया।अखाड़ों में युवाओं ने एक से बढ़कर एक खेल दिखाकर अपनी कला कौशल का प्रदर्शन किया। मोहर्रम के जुलूस को शांतिपूर्ण संपन्न कराने के लिए पुलिस प्रशासन प्रभारी निरीक्षक मिर्ज़ा रिजवान बेग के नेतृत्व में पूरी तरह मुस्तैद रहा। वहीं खण्ड विकास अधिकारी दिनेश सिंह भी अपने अधीनस्थों के साथ अंत तक जमे रहे। कर्बला स्थल पर हर वर्ष से इस बार लोगों की संख्या ज्यादा दिखी।
एकौना, अमरसीपुर,तकिया,मुरकौल, सेमरा डुमरी ,भोडसर, बड़गांवा ठेकहां से निकली ताजिया के साथ सैकड़ों लोग उत्साह बढ़ाने को चल रहे थे।शासन की गाइडलाइंस के अनुसार मुस्लिम समुदाय ने लाठी,डंडों से एक से बढ़कर एक हैरतअंगेज करतब दिखाए।जुलूस में देश भक्ति भी देखने को मिली सभी अखाड़े देश की आन बान और शान तिरंगे को साथ लेकर चल रहे थे।अखाड़ा दलों ने रोमांचक खेलों का प्रदर्शन किया।मुस्लिम समुदाय ने नारे तकदीर अल्लाह हू अकबर और हुसैन की शहादत में नारे लगाए।हिंदुस्तान जिंदाबाद के भी नारे लगाए गए।
पुलिस रही मुस्तैद
शांति व्यवस्था कायम रहे इसके लिए जगह-जगह पुलिस बल के लोग मौजूद रहे। जुलूस को गंतव्य तक पहुंचाने में भी पुलिस सहयोग कर रही थी।प्रभारी निरीक्षक मिर्ज़ा रिजवान बेग पुलिस बल के साथ विभिन्न गांवों से निकल रहे ताजियों का भ्रमण कर रहे थे।पुलिस की चाक-चौबंद व्यवस्था के बीच सभी सभी ताजिए तय रूट से होते हुए शहाबगंज कर्बला स्थल पहुंचे जहां सभी ताजियादारों के प्रमुखों को सम्मानित किया गया।देर शाम मोहर्रम का जुलूस शांतिपूर्ण संपन्न होने पर पुलिस प्रशासन ने राहत की सांस ली।
मोहर्रम क्यों मनाया जाता है
इस बारे में सेमरा गाँव के असद पहलवान ने बताया कि मोहर्रम मुस्लिमों के अंतिम नबी पैगंबर हजरत मोहम्मद के नवासे इमाम हुसैन की शहादत को याद करते हुए मुस्लिम समुदाय के लोग मुहर्रम पर गम मनाते हैं। मुहर्रम महीने का दसवां दिन सबसे खास माना जाता है। बताया गया है कि मुहर्रम के महीने की 10वीं तारीख को कर्बला की जंग में पैगंबर हजरत मोहम्मद के नवासे हजरत इमाम हुसैन की शहादत हुई थी। इस्लाम की रक्षा के लिए उन्होंने खुद को कुर्बान कर दिया था। इस जंग में उनके साथ उनके 72 साथी भी शहीद हुए थे। लेकिन बातिल के आगे अपना सिर नहीं झुकाया। कर्बला के प्यासे शहीदों की याद में मोहर्रम का पर्व मनाया जाता है।
जुलूस में शामिल लोगों के लिए पानी शरबत की व्यवस्था
शहाबगंज क़स्बा में कई जगहों पर जुलूस में शामिल लोगों के लिए पानी शरबत की व्यवस्था की गई थी। जुलूस में हिदू-मुस्लिम एकता के साथ देश भक्ति भी नज़र आई।मुस्लिम समुदाय के लोगों ने शांति प्रेम और भाईचारे को मजबूत करने का संदेश दिया।जुलूस में कई सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी भाग लिया।जुलूस में किसी तरह की गड़बड़ी ना हो इसको लेकर हिन्दू समुदाय के लोग भी मुस्तैदी से लगे रहे।देर शाम मोहर्रम का जुलूस सकुशल संपन्न होने पर पुलिस प्रशासन ने राहत की सांस ली।
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