हड़रिका गांव के कंपोजिट विद्यालय में मेड़ ही है आने जाने का रास्ता, कौन हल करेगा समस्या
हड़रिका गांव के कंपोजिट विद्यालय जाने के लिए नहीं है कोई रास्ता
शिक्षक और बच्चे खेत की मेड़ पर चलकर जाते हैं स्कूल
बरसात के दिनों में बड़ी परेशानी का करना पड़ता है सामना
कीचड़ और पानी में गिरकर चोटिल हो जाते हैं बच्चे
चंदौली जिले के बबुरी क्षेत्र के हड़रिका गांव का कंपोजिट विद्यालय बुनियादी सुविधाओं के अभाव में छात्रों और शिक्षकों के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है। कक्षा एक से आठ तक के बच्चों के लिए बने इस विद्यालय के पास कमरे हैं, कार्यालय है, शौचालय है, खेल मैदान है, लेकिन विद्यालय तक पहुंचने के लिए कोई रास्ता ही नहीं है।
कई सालों से इस समस्या के चलते बच्चों और शिक्षकों को परेशानी तो होती है, लेकिन इसे देखने वाला कोई नहीं है। विद्यालय तक पहुंचने के लिए रास्ता न होने के कारण यहां पढ़ने वाले बच्चों और शिक्षकों को प्रतिदिन खेतों की संकरी मेड़ों से होकर गुजरना पड़ता है। बरसात के दिनों में यह समस्या और भी विकराल हो जाती है, जब कीचड़ और गंदगी से भरे रास्ते से गुजरना उनकी मजबूरी बन जाती है।
आपको बता दें कि एक तरफ शासन की ओर से जहां परिषदीय विद्यालयों को चमकाने की कवायद चल रही है और विद्यालयों का कायाकल्प किया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर हडिरका गांव के कंपोजिट स्कूल तक पहुंचने का कोई आधिकारिक मार्ग ही नहीं है। इसकी वजह से नक्शे में भी यह रास्ता दिखाई नहीं देता है। कंपोजिट विद्यालय चारों तरफ से खेतों से घिरा हुआ है। यही कारण है कि स्कूल के बच्चों को हर रोज जोखिम भरे सफर का सामना करना पड़ता है।
वहीं बरसात के समय कई बार बच्चे कीचड़ में फिसलकर गिर जाते हैं। गंदे पानी में उनके कपड़े और किताबें खराब हो जाती हैं। घायल भी हो जाते हैं। विद्यालय के निर्माण वर्ष से लेकर आज तक बच्चे खेत की मेड़ों से होकर आवागमन करते हैं। कई बार की कानूनी दांव-पेच के बाद भी हड़रिका गांव का कंपोजिट विद्यालय रास्ते के लिए तरस रहा है।
आपको बता दें कि लगभग पांच साल पहले जिले के अधिकारियों ने खेत की ओर जा रहे खड़ंजा मार्ग के बगल की जमीन को विद्यालय के रास्ते के लिए प्रस्तावित करते हुए उक्त भूमि के एवज में किसान को विद्यालय के पीछे बाग के पास जमीन दी, लेकिन किसान निर्धारित जमीन विभाग द्वारा आवंटित की गई। शिक्षकों का कहना है कि इस समस्या के समाधान के लिए उन्होंने कई बार अधिकारियों से गुहार लगाई, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई।
बीईओ सदर कृष्ण गोपाल तिवारी का सरकारी नंबर इनकमिंग काल की सुविधा समाप्त बता रहा था। जिस कारण उनसे संपर्क नहीं हो सका। वहीं उपजिलाधिकारी हर्शिका सिंह ने रास्ते के मामले को देखने व रास्ता बनवाने की पहल करने को कहा है। साथ ही कहा कि जल्द ये जानने की कोशिश होगी कि आखिर रास्ता न बनने का असली कारण क्या है।
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