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पथरहवा राइट माइनर के काम में कमीशनखोरी, कई नेताओं की रहती है साठगांठ

चंदौली जिले के चकिया इलाके में ठेकेदारों और सत्तारूढ़ दल के साथ उठने बैठने वाले अधिकारियों पर एक बड़ा आरोप लगाया जा रहा है, क्योंकि सिंचाई विभाग की पोल खुलने लगी है।
 

भाजपा सरकार में किसानों की अनदेखी

नहर व माइनर की मरम्मत के लिए आया है पैसा

अफसर दे रहे हैं कमीशनखोरी को बढ़ावा

अजय राय ने लगाया बड़ा आरोप 

 

चंदौली जिले के चकिया इलाके में ठेकेदारों और सत्तारूढ़ दल के साथ उठने बैठने वाले अधिकारियों पर एक बड़ा आरोप लगाया जा रहा है, क्योंकि सिंचाई विभाग की पोल खुलने लगी है। अब किसान नेताओ ने कहना शुरू कर दिया है कि जब सबमें साठगांठ है तो काम की गुणवत्ता की उम्मीद करना किसानों के लिए बेमानी है। 

इसका नमूना देखना हो तो  पथरहवा राइट माइनर को देख लीजिए माइनर की पूरब साइड की ओर टूट गयी, जिससे 15 से 20 घंटे तक नहर का पानी इधर उधर बनता रहा। अब जब मीडिया में माइनर टूटने की खबर चली तो मरम्मत के नाम खानापूर्ति शुरू होगी। 

वैसे अगर देखा जाए तो सरकार अक्सर कहती है हमारे यहां से  प्रतिवर्ष जर्जर नहरों  व माइनरों की सफाई के नाम पर पैसा जरूरत के हिसाब से भेजा जाता हैं, लेकिन वह पैसा कहां जाता है, किसी को नहीं पता है। सिंचाई विभाग के अधिकारियों का कहना है कि उतना ही पैसा मिलता हैं. जिससे नहर माइनर की घास फूंस की सफाई हो जाए, वही बहुत है। 

 वहीं ठेकेदार ने नाम न उजागर हो इस शर्त पर बताया कि सत्तारूढ़ दल के नेताओं व जनप्रतिनिधियों से लेकर बतीस प्रतिशत पैसा कमीशन में चला जाता है, जो बचता है उसमें से कुछ पैसा ठेकेदार अपने लिए बचाकर खानापूर्ति वाला काम करा देते हैं। कुल मिलाकर लब्बोलुआब यह है कि नहरों और माइनरों की सफाई के लिए आया धन जहां अपर्याप्त हैं, वहीं वह पैसा कमीशनखोरी की भेंट चढ़ जाता है। 

patharahawa minor commissionkhori

कहा जा रहा है कि पथरहवा राइट माइनर 0.300 किलोमीटर से 1.500 किलोमीटर  मरम्मत करने व जलकुंड कुछ काम के लिए करीब एक करोड़ पैंतीस लाख रुपए आवंटित हैं। अभी काम शुरू हुआ है। किसानों व किसान संगठनों की तरफ से काम की गुणवत्ता पर सवाल भी उठ रहे हैं, क्योंकि आवंटित धन किसी जनप्रतिनिधियों की मेहरबानी से नहीं आया हैं, बल्कि किसानों , किसान संगठनों व पत्रकार बंधुओं द्वारा लगातार किसानों के लिए उनके खेतों की सिंचाई व हेड से लेकर टेल तक पानी पहुंचाने की दिक्कत  दूर करने के लिए आया है। 

अब सवाल उठता हैं कि किसानों की तरफ से गुणवत्ता का सवाल उठाने पर जनप्रतिनिधि से लेकर अधिकारी तक क्यों मौन क्यों हैं, ऐसे में किसानों के जेहन में बत्तीस प्रतिशत कमीशन की बात कौंधने लगती है। 

बुधवार की बीती रात पथरहवा राइट माइनर 0.300 गरला गांव के पास टूट जाने से किसानों की लगभग तैयार फसल बर्बाद होने लगी और किसानों के आक्रोशित होने पर सिंचाई विभाग की निंद्रा भंग हुई और कभी किसानों की सुध न लेने वाले जेई आलोक त्रिवेदी मौके पर भी पहुंचे। साथ ही टूटी हुयी माइनरों की मरम्मत कराने लगे, लेकिन यह माइनर जो दूबेपुर गांव होते हुए लतीफ शाह रोड़ के पास जाकर बोदरा कला माइनर में मिलती हैं। जो करीब कई जगह टूटी हैं, लेकिन मरम्मत करने के नाम पर कोरमपुर्ति होती रहती है और हर साल टेल के किसानों को सिंचाई की समस्या आती है।

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मजदूर किसान मंच के राज्य कार्य समिति सदस्य अजय राय व अन्य किसान संगठनों के नेताओं ने भाजपा सरकार के राज  में किसानों की सवालों की अनदेखी का आरोप लगाते हुए जर्जर नहर माइनर की समय से मरम्मत करने के लिए पर्याप्त धन उपलब्ध कराने की मांग की। साथ ही साथ सिंचाई की समस्या हल करने के लिए आए धन में कमीशन खोरी बंद करने के लिए कहा। उसके अलावा सिंचाई विभाग के अधिकारियों को समय से सिंचाई विभाग में रहने व किसानों की समस्या हल करने की मांग किया है।

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अजय राय ने कहा कि पथरहवा राइट माइनर व जलकुंड की मरम्मत की गुणवत्ता को मानक के अनुरूप करने व दोषी ठेकेदारों पर नजर रखा जाय और कार्य में मानक की अनदेखी करने  पर सिंचाई विभाग के अधिकारियों  की चुप्पी की भी जांच होनी चाहिए। अगर कुछ तथाकथित जनप्रतिनिधियों द्वारा कमीशनखोरी करवायी जा रही है तो उसे भी बंद किया जाना चाहिए।

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