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बरसात में ध्वस्त हुई इंटरलॉकिंग, निर्माण की गुणवत्ता पर उठे सवाल

मात्र कुछ घंटों की बारिश में करीब 20 लाख रुपये की लागत से बना निर्माण कार्य ध्वस्त हो गया, जिससे क्षेत्र में निर्माण गुणवत्ता को लेकर आक्रोश और सवाल दोनों खड़े हो गए हैं।
 

20 लाख की इंटरलॉकिंग पहली बारिश में ध्वस्त

मानसून की हल्की बूँदें ही खोल गईं गुणवत्ता की पोल

अप्रैल में बना निर्माण कार्य तीन महीने भी नहीं चला

स्थानीय लोगों ने घटिया निर्माण सामग्री पर उठाए सवाल

चंदौली जिले के चकिया के मुजफ्फरपुर गांव में क्षेत्र पंचायत निधि से अप्रैल माह में बनकर तैयार हुई इंटरलॉकिंग सड़क पहली ही हल्की बरसात नहीं झेल पाई। मात्र कुछ घंटों की बारिश में करीब 20 लाख रुपये की लागत से बना निर्माण कार्य ध्वस्त हो गया, जिससे क्षेत्र में निर्माण गुणवत्ता को लेकर आक्रोश और सवाल दोनों खड़े हो गए हैं।

शीलापट्ट पर लागत और संस्था का नाम तक नहीं दर्ज

यह कार्य वित्तीय वर्ष 2024-25 के 15वें वित्त आयोग की सिफारिशों के तहत कराया गया था। इसमें पुजारी के खेत से नाले तक ह्यूम पाइप, सीवर लाइन, चैंबर, रोड की पटरी के दोनों तरफ ईंट और इंटरलॉकिंग का निर्माण शामिल था। हालांकि स्थानीय लोगों ने बताया कि समीप लगे शिलापट्ट पर न तो कुल लागत का स्पष्ट विवरण है, न ही कार्यदायी संस्था का नाम। इससे पारदर्शिता पर भी सवाल उठने लगे हैं।

गांव के लोगों का कहना है कि निर्माण कार्य में बेहद घटिया गुणवत्ता की सामग्री का उपयोग किया गया था, जिस कारण यह कुछ ही समय में टूट गया। लोगों ने मांग की है कि इसकी निष्पक्ष जांच कर दोषी ठेकेदार और जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।

इस पूरे मामले पर जब बीडीओ विकास सिंह से बात की गई तो उन्होंने कहा कि “मुजफ्फरपुर गांव के पास हुए निर्माण कार्य की गुणवत्ता जांच कराई जाएगी। कार्यदायी संस्था को नोटिस जारी किया जा रहा है, और जल्द ही इंटरलॉकिंग की मरम्मत कराई जाएगी।”

गौरतलब है कि सरकारी योजनाओं और निधियों से बने कार्यों में लापरवाही और भ्रष्टाचार अक्सर देखने को मिलता है, लेकिन अब जनता सजग हो रही है और आवाज़ उठा रही है। प्रशासन यदि समय रहते सख्त कदम नहीं उठाता, तो जन विश्वास खोने का खतरा और बढ़ सकता है।

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