अधिवक्ता संशोधन विधेयक लोकतंत्र पर सीधा हमला, अधिवक्ता संघ कर रहा है विरोध

प्रस्तावित अधिवक्ता संशोधन विधेयक के खिलाफ प्रदर्शन
चकिया में वकीलों ने जूलुस निकाल कर किया विरोध
उपजिलाधिकारी को दिया अपना ज्ञापन
भारत सरकार का प्रस्तावित अधिवक्ता ( संशोधन ) विधेयक 2025 को लोकतांत्रिक व्यवस्था पर सीधा करार देते हुए कहा कि कार्यपालिका न्यायपालिका की स्वतंत्रता को कमजोर करने का कुत्सित प्रयास कर रहीं हैं उसी के खिलाफ चकिया के अधिवक्ताओं ने लामबंद होकर कचहरी परिसर से जूलुस निकाल कर तहसील परिसर में जाकर उपजिलाधिकारी को भारत सरकार को भेजने के खिलाफ पत्रक दिया।

अधिवक्ताओं ने कहा कि अधिवक्ताओं की अधिकार व स्वतंत्रता को सरकार कुचलकर सरकार अपनी निरंकुश सत्ता को स्थापित करने की दिशा में बढ़ रही हैं। इस विधेयक में केन्द्र सरकार को बार काउंसिल ऑफ इंडिया ( बीसीआई ) में तीन सदस्य नामांकित करने का अधिकार दिया गया हैं। जिससे यह संस्थान स्वतंत्र न रहकर सरकारी नियंत्रण में चला जाएगा साथ ही राज्य बार काउंसिल की चुनाव प्रक्रिया में बदलाव और सत्यापन प्रमाण पत्र की अनिवार्यता अधिवक्ताओं पर जबरन सरकारी नियंत्रण थोपने जैसा हैं ।
अधिवक्ताओं पर हड़ताल और विरोध का अधिकार छीनना भी अधिवक्ताओं की आजादी पर हमला हैं।
अधिवक्ताओं ने कहा कि इस विधेयक के तहत अधिवक्ताओं द्वारा हड़ताल और न्यायालय बहिष्कार पर पूर्णत प्रतिबंध हैं यह सरकार की तानाशाही मानसिकता को दर्शाता हैं क्योंकि जब अधिवक्ताओं द्वारा अन्याय या सरकारी हस्तक्षेप के खिलाफ आवाज नहीं उठायेंगे तो न्यायपालिका में निष्पक्षता और पारदर्शिता कैसे बनी रहेगी। हड़ताल और न्यायालय का बहिष्कार अधिवक्ताओं का लोकतांत्रिक अधिकार हैं इसे सरकार छीनना चाहती हैं ।
इस विधेयक के जरिए सरकार विदेशी कानूनी फर्मों के लिए नियम बनाने का अधिकार दिया हैं जिससे विदेशी कानून फर्म भारतीय न्याय प्रणाली में प्रवेश करेगा इससे भारतीय वकीलों के पेशेवर अस्तित्व के लिए खतरा बढ़ेगा । अधिवक्ताओं पर अनुशासनात्मक सख्ती करने में सरकार की मनमानी बढ़ेगी , अवैध प्रैक्टिस और चुनाव पर प्रतिबंध होंगा कर अधिवक्ताओं पर दमन होगा ।अगर कोई वकील सरकार की आलोचना करेगा तो तो अवैध प्रैक्टिस के नाम पर कि इन्होंने कदाचार किया हैं। स्टेट रोल से इनका नाम हटाया जाएगा और इनको कदाचार का आरोप लगाकर प्रैक्टिस करने से रोक लगा दिया जाएगा ।
अधिवक्ताओं पर की इन्होंने अनुशासनात्मक कार्रवाई की इसलिए विशेष कमेटी बनाकर अधिवक्ताओं को परेशान किया जाएगा। न्यायपालिका की स्वतंत्रता को कार्यपालिका के जरिए सरकार अपने अधीन करेगा। इसलिए अधिवक्ता ( संशोधन ) विधेयक 2025 : लोकतंत्र पर सीधा हमला हैं ।
जूलुस व विरोध प्रदर्शन में बार के अध्यक्ष अशोक कुमार सिंह पटेल , पूर्व बार अध्यक्ष नारायण दास ,वरिष्ठ अधिवक्ता शिवपुजन सिंह पटेल, शिवप्रसाद सिंह ,विजय कुमार यादव ,लालचंद यादव ,शहाबुद्दीन , प्रफुल्ल द्विवेद्वी, सुभाष दुवेद्धी , रामबाबू सोनकर सहित दर्जनों अधिवक्ताओं ने चकिया उपजिलाधिकारी को ज्ञापन दिया।
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