रामकथा का दूसरा दिन, आस्था दुबे ने किया भगवान राम की बाल लीलाओं का चरित्र चित्रण
चंदौली जिले के शहाबगंज क्षेत्र के अमांव गांव में राम कथा के तीसरे दिन प्रभु की बाल लीला का वर्णन कुछ इस प्रकार किया गया ।
कर्मनाशा नदी के तट पर बाबा मुरलीधर खेल मैदान में चल रहे 9 दिवसीय राम कथा के तीसरे दिन प्रभु की बाल लीला का वर्णन करते हुए कथा वाचिका आस्था दुबे ने बताया कि एक बार माता कौशल्या ने श्री रामचन्द्रजी को स्नान कराया और श्रृंगार करके पालने पर बैठा दिया। इसके बाद माता अपने कुल के इष्टदेव भगवान की पूजा के लिए स्नान किया, पूजा करके नैवेद्य चढ़ाया और स्वयं वहां गई, जहां रसोई बनाई गई थी। फिर माता पूजा के स्थान पर लौट आई और वहां आने पर पुत्र को भोजन करते देखा। माता भयभीत होकर पुत्र के पास गई, तो वहां बालक को सोया हुआ देखा। फिर देखा कि वही पुत्र वहां भोजन कर रहा है। उनके हृदय में कंपन होने लगा। वह सोचने लगी कि यहां और वहां मैंने दो बालक देखे। यह मेरी बुद्धि का भ्रम है या और कोई विशेष कारण है प्रभु श्री रामचन्द्रजी माता को घबराया हुआ देखकर मधुर मुस्कान से हंस दिए फिर उन्होंने माता को अपना अखंड अद्भूत रूप दिखलाया।
माता को अपना रूप ऐसा दिखाया जिसके एक-एक रोम में करोड़ों ब्रह्माण्ड लगे हुए हैं। इससे माता का शरीर पुलकित हो गया, मुख से वचन नहीं निकल रहा था। तब आँखें मूंदकर उसने रामचन्द्रजी के चरणों में सिर नवाया। माता को आश्चर्यचकित देखकर श्री रामजी फिर बाल रूप हो गए।
इस दौरान होसिला विश्वकर्मा ,राजू चौहान ,दशरथ गुप्ता, समशेर चुल्लन,मंगरू गौड़, सुनील पाण्डेय,सदिक, विशाल पाठक, अजय कुमार, हनुमान सिब्बु विश्वकर्मा,राधेश्याम गुप्ता, श्यामजीत यादव, श्याम नारायण चौहान, सहित आदि उपस्थित रहे।
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