बच्चों को अच्छी शिक्षा के साथ-साथ संस्कार भी जरूरी, रामायण व गीता भी पढ़ाएं परिजन
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कथावाचक डॉ राम कमलदास वेदांती का संदेश
बच्चों को रामायण व गीता पढ़ने की डालें आदत
मसोई गांव में भव्य संगीतमय रामकथा कथा जारी
चंदौली जिले के शहाबगंज ब्लॉक के मसोई गांव में मानस परिवार सेवा समिति द्वारा आयोजित भव्य संगीतमय रामकथा के तीसरे दिन प्रख्यात कथावाचक डॉ रामकमल दास वेदांती ने भरत के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भरत जी का जीवन प्रेम, सौहार्द, आपसी भाईचारा का संदेश देता है। उन्होंने भरत के चरित्र को रामायण का सर्वश्रेष्ठ पात्र बताते हुए कहा कि मनुष्य के जीवन में भौतिक सुख-सुविधाओं की उपलब्धि से बढ़कर परस्पर सौहार्द स्थापित करना है।
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उन्होंने कथा को आगे बढ़ाते हुए कहा कि आज जमीन-जायदाद के कारण भाई -भाई आपस में टकरा रहे हैं। पारिवारिक रिश्ते टूट रहे हैं। ऐसी विषम परिस्थितियों में श्रीराम कथा हमारे सम्मुख राजा दशरथ के चार पुत्रों का परस्पर सौहार्द एवं प्रेम को स्थापित करने की प्रेरणा देता है। माता कैकेई ने अपने बेटे भरत को राज्य तिलक एवं श्रीराम को 14 वर्ष का वनवास मांग कर परिवार में वैमनस्यता का बीज बो दिया था। किन्तु सहजता एवं प्रेम की मूर्ति भरत ने दो भाईयों के प्रेम में आड़े आने वाली अयोध्या की राजसत्ता का परित्याग कर अपने बड़े भाई को राज्यसत्ता देने का निर्णय किया।
मनुष्य को आज स्वार्थ से ऊपर उठकर त्याग व समर्पण की संस्कारों को अपने जीवन में उतराने की आवश्यकता है। तभी हम राम कथा को अपने जीवन में चरितार्थ कर सकेंगे। उन्होंने कहा कि धर्म मनुष्य को मनुष्यता सिखाता है। धर्म का आचरण करने वाले बच्चे कभी अपने माता पिता व अपने से श्रेष्ठ आदरणीय जनों का अपमान नहीं करते। आज के मां-बाप को चाहिए कि अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा देने के साथ ही रामायण व गीता पढ़ाना चाहिए, ताकि आने वाली पीढ़ी न केवल अर्थ संपन्न हो बल्कि माता -पिता का आदर व किसी भी नारी में अपनी मां, बहन व बेटी का दर्शन करें।
कथा में मुख्य रूप से राजन सिंह, अरुण सिंह, बिकेश सिंह, बुल्लू सिंह, मिन्टू पाण्डेय, सतीश सिंह, रिट्टू सिंह, शैलेश सिंह आदि शामिल थे।
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