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बेन गांव में श्रीराम कथा सुना रही हैं मानस मयूरी शालिनी त्रिपाठी

कथा वाचिका शालिनी त्रिपाठी ने कहा कि वर्तमान समय में हर घर में मंथरा बैठी हुई है जो परिवार का विघटन करने में कोई कोर कसर बाकी नहीं छोड़ती।
 

भरत का प्रेम दुनिया में उल्लेखनीय

मानव जीवन को भातृत्व प्रेम की देता है मिसाल

जारी है शालिनी त्रिपाठी की संगीतमय कथा

चंदौली जिला के शहाबगंज विकासखंड अंतर्गत बेन गांव के हनुमान मंदिर पर चल रही नौ दिवसीय संगीतमय श्रीराम कथा की आठवीं निशा पर मंगलवार को कथा वाचिका शालिनी त्रिपाठी ने श्रीरामकथा सुनाई।

उन्हाेंने कहा कि भरत की माता कैकई की दासी मंथरा ने उनकी बुद्धि का हरण कर दिया और कैकई ने अपने पुत्र भरत को राज तिलक के लिए राम को वनवास करा दिया। राम का सीता जी और लक्ष्मण के साथ वनागमन हुआ तो अयोध्या के हर नर-नारी, पशु-पक्षी रो पड़े। पुत्र वियोग में राजा दशरथ ने भी अपने प्राण त्याग दिए। परंतु जैसे ही भरत को राम के वनवास की जानकारी हुई उन्होंने अपनी मां का परित्याग कर दिया और राजतिलक कराने से भी इंकार कर दिया।

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कथा वाचिका शालिनी त्रिपाठी ने कहा कि वर्तमान समय में हर घर में मंथरा बैठी हुई है जो परिवार का विघटन करने में कोई कोर कसर बाकी नहीं छोड़ती। ऐसे मंथरा रूपी समाज विरोधी तत्वों से दूर रहकर परिवार को बचाया जा सकता है। वहीं लोगों को भगवान श्रीराम और भरत के प्रेम से प्रेरणा लेने की आवश्यकता है। बड़े भाई श्रीराम के लिए भरत ने राजपाठ का परित्याग कर 14 वर्ष तक साधु की तरह कुटिया में रहकर जीवन बिताया। कथा वाचिका शालिनी त्रिपाठी ने कहा कि रामायण मनुष्य को जीवन जीने की कला सिखाती है। एक तरफ भरत का भाई राम के प्रति अगाध प्रेम वहीं दूसरी तरफ रावण का अहंकार जिसने भक्ति की देवी माता सीता का अपहरण करके अपने कुल का सर्वनाश कर दिया।

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   कथा के दौरान मनोज तिवारी, सतीश तिवारी, शशांक दुबे, अंकुर दुबे, अवनीश दुबे, संदीप, अंकित, रिंकू फौजी, राहुल, दीनदयाल, अंगद, मुन्ना बाबा  अखिलेश, रामभरोस, पंचदेव, अवधेश दुबे, चाहत, कंचन तिवारी आदि कथा प्रेमी उपस्थित रहे।

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