मारुति किंकर जी सुना रहे हैं रामकथा, बोले- श्रद्धा और विश्वास के बिना रामचरितमानस में प्रवेश का अधिकार नहीं

इलिया में राम कथा का हो रहा आयोजन
संगीतमय श्रीराम कथा का पहला दिन
शिव पार्वती विवाह प्रसंग की कथा सुनकर भाव विभोर हुए श्रोता
चंदौली जिला के इलिया में राम कथा सुनाते हुए मारुति किंकर जी कहते हैं कि श्रीराम रचित मानस का आरंभ वर्ण शब्द से और समापन मानव शब्द से हुआ है। आरंभ और समापन शब्द यह संदेश देता है कि हम किसी भी वर्ण के हो, मानस हमें मानव बनने की प्रेरणा प्रदान करता है। इलिया कस्बा में आयोजित संगीतमय श्रीराम कथा के प्रथम दिवस पर काशी से पधारे रामानुजाचार्य मारुति किंकर जी महाराज ने श्रोताओं को श्रीराम कथा का रसपान कराते हुए कही।

उन्होंने शिव पार्वती विवाह प्रसंग की कथा को सुनाते हुए कहा कि भगवान शिव विश्वास और माता पार्वती श्रद्धा हैं। श्रद्धा विश्वास के संयोग के बिना श्री रामचरितमानस में प्रवेश का अधिकार नहीं मिलता है। अर्थात श्रीराम कथा श्रवण का वही अधिकारी है जिसकी शिव कथा में अभिरूचि हो। कहा कि जिस प्रकार त्रेता युग में प्रभु श्री राम ने अवतार लेकर धरती पर दानवों सहित आतातायी रावण का वध करके धर्म की स्थापना की। उसी प्रकार कलयुग में श्रीराम कथा का श्रवण मात्र करने से मानव के भीतर बैठे हुए दुर्गुण, दोष समाप्त होकर सद्गुण, सद्वृति की स्थापना होती है। अंत में आरती के साथ प्रथम निशा की कथा को विश्राम दिया गया।

कथा में राजेंद्र गुप्ता, संजय गुप्ता, मुरारी सेठ, बृजमोहन गुप्ता, सुरेश मद्धेशिया, जीउत चौरसिया, निरुपमा केसरी, पूनम देवी, रानी मोदनवाल, गिरिजा देवी सहित तमाम श्रोता मौजूद रहे।
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