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प्रभु श्रीराम की पराक्रम से भयभीत रावण ने माता सीता के हरण हेतु छलपूर्वक स्वर्ण मृग का लिया सहारा , रामानुजाचार्य मारुति किंकर जी सुना रहे हैं कथा

किष्किंधा पर सुग्रीव से प्रभु श्रीराम की मित्रता होती है। बाली वध करके प्रभु श्रीराम ने सुग्रीव से मित्रता का फर्ज निभाया तथा उसके आतंक से सुग्रीव को मुक्त कराकर किष्किंधा का राजा बना दिया। 
 

इलिया कस्बा में श्रीराम कथा का सातवां दिन

सातवें दिन हुआ रावण के छल का वर्णन

कथावाचक ने किया प्रभु श्रीराम के पराक्रम का गुणगान

कथा के दौरान संगीतमय वातावरण में डूबे श्रद्धालु

चंदौली जिला के इलिया कस्बा में चल रहे श्रीराम कथा के सातवें दिन कथावाचक मारुति किंकर जी ने कहा कि रावण प्रभु श्रीराम की पराक्रम से भयभीत था। इसलिए उसने छल पूर्वक स्वर्ण मृग को बन में भेजा, ताकि वह जगत जननी माता जानकी का हरण कर सके।

 संगीतमय श्रीराम कथा में काशी से पधारे कथावाचक रामानुजाचार्य मारुति किंकर जी ने कहा कि माता सीता को ढूंढते जब किष्किंधा पर प्रभु श्रीराम पहुंचते हैं तो वहां उनकी मुलाकात पवनसुत हनुमान जी से होती है। किष्किंधा पर सुग्रीव से प्रभु श्रीराम की मित्रता होती है। बाली वध करके प्रभु श्रीराम ने सुग्रीव से मित्रता का फर्ज निभाया तथा उसके आतंक से सुग्रीव को मुक्त कराकर किष्किंधा का राजा बना दिया। 

Ramkatha

कथावाचक कहते हैं कि प्रभु सदैव अपने भक्तों की रक्षा के लिए तत्पर रहते हैं। वनवास के दौरान प्रभु ने कई आसुरी शक्तियों का वध करके भक्तों तथा ऋषियों को आतंक से मुक्ति दिलाया। आरती के साथ ही सातवें दिन की कथा को विश्राम दिया गया।

 कथा में विजय गुप्ता,कैलाश मोदनवाल,राधाकृष्ण जायसवाल,जीउत चौरसिया,राजकुमार गुप्ता, सुभाष मोदनवाल, चम्पा देवी,राधिका देवी,लक्ष्मीना देवी,रीमा देवी,पलक कुमारी,मंशा देवी आदि श्रोता रहे।

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