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संगीतमय रामकथा के चौथे दिन भरत के चरित्र का किया गया वर्णन

भरत सरिस को राम सनेही। जगु जप राम रामु जप जेही।।  चौपाई के माध्यम से उपस्थित भक्तों को सम्बोधित करते हुए कहा कि जिस राम को सारा जगत अपना आराध्य व पूज्य मानकर उनकी वंदना करता है।
 

भरत के चरित्र का मार्मिक वर्णन

त्याग व प्रेम की भावना का मर्म समझाने की कोशिश

इसी में है क्लेश एवं वैमनस्यता का समाधान

चंदौली जिले के शहाबगंज ब्लॉक के मसोई गांव में मानस परिवार सेवा समिति के तत्वावधान में आयोजित 12 वीं संगीतमय रामकथा के चौथे दिन प्रख्यात कथावाचक डॉ रामकमल दास वेदांती ने भरत के चरित्र का मार्मिक वर्णन करते हुए लोगों को त्याग व प्रेम की भावना का मर्म समझाने की कोशिश की।

 भरत सरिस को राम सनेही। जगु जप राम रामु जप जेही।।  चौपाई के माध्यम से उपस्थित भक्तों को सम्बोधित करते हुए कहा कि जिस राम को सारा जगत अपना आराध्य व पूज्य मानकर उनकी वंदना करता है। वह राम भरत को एक पल के लिए भी अपने हृदय से विस्मृत नहीं कर पाते। उन्होंने कथा को आगे बढ़ाते हुए कहा कि भरत के चरित्र की महिमा का वर्णन तो त्रिदेव ब्रम्हा, विष्णु और महेश भी करने में अपने को असमर्थ पाते हैं। 

उन्होंने कहा कि भरत अपने बड़े भाई राम की चरण पादुका को चौदह वर्षों तक अपने पास रखकर पूजा-अर्चना की एवं उनका दास बनकर अयोध्या के प्रजा की सेवा की। उन्होंने कहा कि यदि हमारे समाज के लोग भरत जी के चरित्र का अनुकरण करते हुए जीवन निर्वाह करने की कला सीख लें तो समाज में व्याप्त सभी प्रकार की क्लेश एवं वैमनस्यता का समाधान स्वतः हो जाएगा। 

कथा में मुख्य रूप से अरुण सिंह, राजन सिंह, बिकेश सिंह, मंटू पांडेय, राजन पांडेय, बुल्लू सिंह, रिट्टू सिंह, मंगला सिंह आदि शामिल थे।

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