जिले का पहला ऑनलाइन न्यूज़ पोर्टलMovie prime

लखन-भरत जैसा पवित्र भाई संसार में नही, आचार्य शान्तनु ने सुनायी मार्मिक कथा

जब भरत का भगवान से मिलन हुआ  तो भगवान के आदेश से उनकी पादुका शिरोधार्य कर भरत जी अयोध्या वापस आये हैं और उसी पादुका को सिंहासन पर रखकर अयोध्या के राजकाज को संभाला है।
 

तियरा गांव के महारथपुर के हनुमान मंदिर में कथा

भरत चरित्र की कथा सुनाते हुए बतायी प्रेम की महत्ता

कथा सुनकर भावुक हुए लोग

चंदौली जिले के शहाबगंज विकास खंड में  जय हनुमान श्री राम कथा रघुवर सेवा समिति के द्वारा तियरा गांव के महारथपुर के हनुमान मंदिर परिसर में रामकथा के आठवें दिन शुक्रवार को आचार्य शान्तनु महाराज जी ने भरत चरित्र की कथा सुनाते हुए कहा कि "जग जप राम राम जप जेहि," अर्थात भगवान स्वयम भरत जी का स्मरण करते है मानस में भरत जी को अनेक लोगो ने महिमा मंडित किया है।

तीर्थराज प्रयाग ने कहा कि भरत सब विधि साधु हैं। भगवान ने स्वयं कहा कि लखन भरत जैसा पवित्र भाई संसार में नहीं मिल सकता। जनक जी ने सुनयना जी से कहा कि रानी भरत की महिमा राम जानते तो हैं, परंतु वे बता नहीं सकते।

Ramkatha in tiyara

भरत जी की साधना को बताते हुए कहा कि उनकी कठिन साधना को देखकर बड़े बड़े साधु संत भी उनके पास जाने में घबराते थे। स्वयं वसिष्ठ जी भी जाने से कतराते थे।
पिता की मृत्यु अवाम भगवान के वनगमन का समाचार मिलने पर भरत जी विह्वल हो गए और विलाप करने लगे। माता कैकेई को बहुत बुरा भला कहा है। सारी सभा को फटकार लगाई है। कौशल्या जी के समझाने पर भरत जी शांत हुए है और सबको आश्वासन किया है कि हम सबको भगवान से   मिलाने ले चलेंगे और पूरी प्रजा भरत जी के साथ भगवान से मिलने चित्रकूट चली जाती है।

Ramkatha in tiyara

जब भरत का भगवान से मिलन हुआ  तो भगवान के आदेश से उनकी पादुका शिरोधार्य कर भरत जी अयोध्या वापस आये हैं और उसी पादुका को सिंहासन पर रखकर अयोध्या के राजकाज को संभाला है।

इस कारुणिक प्रसंग को सुनकर सम्पूर्ण जनमानस श्रोता समाज भावविह्वल हो गया। सबकी अश्रुधारा फूट पड़ी है। सम्पूर्ण वातावरण भक्तिमय हो गया। इस दौरान श्याम नारायण उपाध्याय, रमाशंकर पाण्डेय, सतीश कुमार, विवेकानंद, लालव्रत सहित कथा प्रेमी उपस्थित थे।

Ramkatha in tiyara

चंदौली जिले की खबरों को सबसे पहले पढ़ने और जानने के लिए चंदौली समाचार के टेलीग्राम से जुड़े।*