एक करोड़ गंवाने के बाद भी बावली बदहाल, नगर पंचायत कैसे देगी सवालों के जवाब

रानी की बावली का कायाकल्प बना मजाक
एक करोड़ खर्च फिर भी हाल बेहाल
नहीं हो सका सुंदरीकरण व सीढ़ी निर्माण कार्य
नगरवासियों ने लगाया फर्जीवाड़े और धन बंदरबांट का आरोप
चंदौली जिले के चकिया में एक करोड़ खर्च होने के बावजूद नगर के वार्ड नंबर छह स्थित पुराना तालाब (रानी की बावली) की दशा व दिशा नही सुधर सकी। जल संरक्षण की कवायद कागजों में सिमट कर रह गई। रानी की बावली का कायाकल्प करने के लिए वर्ष 2019 में एक करोड़ रुपये की कार्ययोजना नगर पंचायत बोर्ड ने शासन को प्रेषित किया। 50 लाख रुपए प्रथम किस्त में उपलब्ध हो गई। शेष धनराशि 50 लाख रुपये वर्ष 2022 में अवमुक्त हुई। पंडित दीनदयाल उपाध्याय योजना के तहत अवमुक्त हुई धनराशि के बंदरबांट होने से बावली बदहाली की कहानी बया करते नजर आ रही है।

आपको बता दें कि बावली के जीर्णोद्धार के लिए पहली किस्त में प्राप्त हुए 50 लाख से फाउंडेशन व बाउंड्रीवाल के निर्माण के साथ गेट लगाया गया था। तत्कालीन जिला योजना समिति सदस्य मीना विश्वकर्मा के अथक प्रयास से शेष धन 50 लाख अवमुक्त हुआ। इस धन से सीढ़ी व रपटा बनाने का कार्य किया जाना था। साथ ही सुंदरीकरण का कार्य होना था। लेकिन अवमुक्त धन से बावली को कायाकल्प करने की योजना कागजों में ही पूर्ण हो गई। नगर निवासी लालचंद सिंह यादव, मनोज कुमार शिवम आदि ने धन का बंदरबांट कर लिए जाने का आरोप लगाया है। साथ ही कहा कि मानक के अनुरूप कार्य नहीं होने से बावली बदहाल पड़ी हुई है। नगर पंचायत प्रशासन गेट पर ताला जड़कर अपनी करतूत छिपाने में लगा हुआ है।

इस संबंध में चकिया नगर पंचायत अधिशासी अधिकारी संतोष कुमार चौधरी ने बताया कि नगर के वार्ड नंबर छह स्थित बावली के कायाकल्प के लिए पंडित दीनदयाल योजना से एक करोड़ रुपए दो किस्तों में प्रप्त हुए थे। लेकिन में उस कार्यकाल में नहीं था। धन खर्च होने का लेखा-जोखा कागजों में है। मैं कुछ बता नहीं सकता
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