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स्वकर टैक्स प्रणाली लागू करने में गरीबों व छोटे छोटे व्यापारियों को राहत देने की मांग

उत्तर प्रदेश सरकार चाहती हैं नगर के निवासियों पर कर लगाकर नगर का विकास किया जाए। जहां पर ज्यादा कर लगेगा, वहां पर विकास और सुविधाएं भी अधिक होंगी।
 

अजय राय ने दी अपनी दलील

जलकर लेने के खिलाफ पहले भी एआईपीएफ नेता ने दिया था पत्रक

एक बार फिर से ईओ चकिया को दिया ज्ञापन

चकिया नगर पंचायत में टैक्स को लेकर चल रहे वाद-विवाद को लेकर एआईपीएफ राज्य कार्य समिति सदस्य अजय राय ने कहा कि सरकार विकास के मदों  के लिए पैसा इकट्ठा करने के लिए 1 अप्रैल 2025 से उत्तर प्रदेश सरकार पूरे उत्तर प्रदेश में नगर महापालिका, नगर पालिका व नगर पंचायत में स्वकर टैक्स प्रणाली लागू कर रहीं हैं, जिससे कर तय करने  का अधिकार  उन्हें होगा और कई तरह की कर भी लगाए जायेंगे । इससे छोटे - छोटे व्यापारी भी कई तरह की करों के दायरे में आएंगे।

अजय राय ने कहा कि  उत्तर प्रदेश सरकार चाहती हैं नगर के निवासियों पर कर लगाकर नगर का विकास किया जाए। जहां पर ज्यादा कर लगेगा, वहां पर विकास और सुविधाएं भी अधिक होंगी।  करों के कलेक्शन में जो नगर महापालिकाएं , नगर पालिकाएं व नगर पंचायतें पिछड़ेंगी, उसे सरकार द्वारा विकास के लिए मिलने वाले पैसा कम कर दिया जाएगा। इसलिए जमीनी स्तर पर अधिक कर वसूली व कई तरह की करों को लगाना पड़ेगा।

अजय राय ने कहा कि इसके निर्धारण में स्थानीय नगर पंचायत के  जनप्रतिनिधियों को करों को तय करने में कोई भूमिका नहीं हैं। भविष्य  में यह सरकार गांव में भी यहीं नियम लागू करेंगी। नगर महापालिका, नगर पालिका व नगर पंचायत में करों की कम वसूली पर पन्द्रहवें वित्त व राज्य वित्त नहीं भेजने की धमकी देती हैं और कमजोर जनप्रतिनिधि या विपक्ष के जनप्रतिनिधियों को यह मद रोक भी देती है।

वहीं आज एआईपीएफ की तरफ़ से 2022-2023 में पूर्व प्रशासक ज्वांइट मजिस्ट्रेट प्रेम प्रकाश मीणा को दिए पत्रक को भी याद दिलाया गया जिसमें जलकर लागू करने के खिलाफ शिकायत की गयी थी, क्योंकि उसमें बताया गया था नगर पंचायत इलाके में रहने वाले सभी लोगों को जलकर देना होगा, भले ही लोगों ने जल कनेक्शन नहीं लिया हो। ऐसे नियम को वापस लेने के लिए ज्ञापन देते हुए अपनी तस्वीर जारी की।


आपको याद होगा कि सरकार पहले सार्वजनिक स्थानों पर सार्वजनिक रूप से गरीबों के लिए नल के कनेक्शन लगाए जाया करते थे, जहां पर गरीब लोग बगैर किसी शुल्क व कनेक्शन के पीने के साथ-साथ अन्य जरूरतों के लिए पानी एकत्रित करते थे। प्रथम पंचवर्षीय योजना 1955 के दौरान भी चकिया इलाके में कई जगह जल नल पोस्टर बनाए गए थे। इसके निशान आज भी चकिया इलाके में मौजूद हैं, जहां से पानी लेकर गरीब लोग अक्सर इसका उपयोग करते थे। नेताओं ने कहा कि गरीबों के हित में ऐसे जल कनेक्शन दोबारा शुरू किए जाने चाहिए, ताकि लोगों को इसका लाभ मिल सके।

 एआईपीएफ नेता ने कहा कि जब इस तरह के करों को खत्म नहीं करती है और नगर के निवासियों में रहने वाले गरीबों व छोटे - छोटे व्यापारियों को राहत नहीं देती है तो आंदोलन के अलावा कोई रास्ता नहीं होगा। शहर में एक तरफ की तरह-तरह के टैक्स से पहले ही छोटे-छोटे व्यापारी परेशान हैं। उन्हें एक और टैक्स लादकर परेशान नहीं किया जाना चाहिए।

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