भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु के शहादत दिवस पर गोष्ठी का हुआ आयोजन

गांधीनगर में भगत सिंह पार्क में हुआ आयोजन
भगत सिंह विचार मंच ने किया था आयोजन
कामरेड श्याम बिहारी सिंह ने किया नमन
सर्वप्रथम शहीद ए आजम भगत सिंह के आदमकद प्रतिमा पर माल्यार्पण कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। गोष्ठी में राष्ट्रीय सचिव कामरेड श्याम बिहारी सिंह ने कहा कि भगत सिंह ने अपनी मातृभूमि भारत को ब्रिटिश साम्राज्य के चंगुल से मुक्त कराने का बीड़ा उठाया था। उनके अंदर देशभक्ति की भावना कूट-कूट कर भरी हुई थी। उन्होंने महसूस किया कि केवल शांतिपूर्ण आंदोलन से ही अंग्रेजों को भारत छोड़ने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता। उनका मानना था कि क्रांति के बिना आजादी संभव नहीं है। देश की आजादी के लिए उन्होंने क्रांति की बिगुल फूंका और 23 मार्च 1931 को भगत सिंह राजगुरु और सुखदेव को अंग्रेजी हुकूमत ने फांसी पर लटका दिया था। इन तीनों क्रांतिकारियों ने केवल अपने बलिदान से भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को नई दिशा दी बल्कि अपनी विचारों से युवाओं के दिल में देशभक्ति की अलख जगायी। लेकिन दुख इस बात का है कि देश को आजाद करने में न जाने कितने क्रांतिकारियों ने अपने प्राणों को न्योछावर किया लेकिन आज देश आजाद रहते हुए भी चंद पूंजीपतियों के हाथों में गुलाम बनकर रह गया है। जिसे छुटकारा दिलाने के लिए अब आजादी की दूसरी लड़ाई लड़नी होगी।
गोष्ठी में वक्ताओं ने सही मायने में जनता का राज, राष्ट्रीय संपदा और आजीविका की सुरक्षा की गारंटी का भी मांग किया।
इस दौरान डॉ मिश्रीलाल पासवान, रामअवध सिंह, डॉ गीता शुक्ला, शंभू नाथ यादव, अखिलेश दूबे, अनिल पासवान, भानु प्रताप, परमानंद, अजय राय, लालमनी सहित भारी संख्या में लोग मौजूद रहे। अध्यक्षता रामनिवास पांडेय ने संचालन लालजी ने किया।

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