शहाबगंज में मीट की दुकानें बंद होने से दुकानदारों के सामने रोजी-रोटी का संकट, लाइसेंस न होने पर हुई बड़ी कार्रवाई
चंदौली के शहाबगंज क्षेत्र में खाद्य सुरक्षा विभाग ने अवैध मीट की दुकानों पर बड़ी कार्रवाई करते हुए 15 प्रतिष्ठानों को बंद करा दिया है। लाइसेंस और मानकों की कमी के कारण हुई इस कार्रवाई से जहां विक्रेताओं में हड़कंप है, वहीं स्थानीय लोगों के स्वास्थ्य सुरक्षा की दृष्टि से इसे महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
अवैध मीट दुकानों पर बड़ी कार्रवाई
15 दुकानों को किया गया बंद
विक्रेताओं के सामने आजीविका का संकट
खाद्य सुरक्षा मानकों का सख्त उल्लंघन
चंदौली जनपद अंतर्गत शहाबगंज क्षेत्र में अवैध रूप से संचालित मीट की दुकानों के विरुद्ध प्रशासन ने सख्त रुख अख्तियार किया है। खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग ने एक सुनियोजित अभियान चलाकर क्षेत्र की कुल 15 मीट की दुकानों को तत्काल प्रभाव से बंद करा दिया है। विभाग की यह त्वरित कार्रवाई योगेंद्र कुमार सिंह ‘योगी’ द्वारा सहायक आयुक्त खाद्य सुरक्षा को दी गई लिखित शिकायत के बाद अमल में लाई गई। शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया था कि शहाबगंज के विभिन्न हिस्सों में दर्जनों मीट की दुकानें बिना किसी वैध लाइसेंस और अनिवार्य मानकों के संचालित हो रही हैं, जिससे क्षेत्र में न केवल नियमों की अवहेलना हो रही है बल्कि आम जनता के स्वास्थ्य के साथ भी खिलवाड़ होने की आशंका बनी हुई है।

जांच प्रक्रिया और विधिक कार्रवाई
शिकायत को संज्ञान में लेते हुए विभागीय अधिकारियों ने पुलिस बल के साथ मिलकर क्षेत्र का सघन निरीक्षण किया। जांच के दौरान यह चौंकाने वाला तथ्य सामने आया कि चिन्हित 15 दुकानों के स्वामियों के पास व्यवसाय संचालन के लिए आवश्यक खाद्य सुरक्षा लाइसेंस उपलब्ध नहीं था। इसके अतिरिक्त, दुकानों में स्वच्छता और सुरक्षित भंडारण के मानकों का भी पूरी तरह अभाव पाया गया। नियमों के उल्लंघन की पुष्टि होने के बाद पुलिस और प्रशासन की संयुक्त टीम ने इन दुकानों के शटर गिरवा दिए। खाद्य सुरक्षा अधिकारियों ने कड़े शब्दों में चेतावनी दी है कि जब तक दुकानदार सभी कानूनी अर्हताएं पूरी नहीं कर लेते और विभाग से विधिवत लाइसेंस प्राप्त नहीं कर लेते, तब तक उन्हें व्यवसाय पुनः शुरू करने की अनुमति कतई नहीं दी जाएगी।
विक्रेताओं के सामने रोजगार का संकट
इस औचक कार्रवाई के बाद स्थानीय मीट विक्रेताओं में भारी खलबली मच गई है। एक साथ 15 दुकानों के बंद होने से संबंधित परिवारों के सामने गंभीर आर्थिक संकट और आजीविका की समस्या उत्पन्न हो गई है। प्रभावित विक्रेताओं का तर्क है कि उनकी पूरी आजीविका इसी एकल व्यवसाय पर टिकी हुई है और अचानक हुई इस बंदी से उनके सामने परिवार का भरण-पोषण करना मुश्किल हो गया है। दुकानदारों ने जिला प्रशासन और संबंधित विभाग से मानवीय दृष्टिकोण अपनाते हुए लाइसेंस प्रक्रिया को सरल बनाने की मांग की है। उन्होंने अपील की है कि उन्हें आवश्यक दस्तावेज तैयार करने के लिए उचित समय दिया जाए ताकि वे सरकारी नियमों के अधीन रहकर सम्मानजनक तरीके से अपना रोजगार जारी रख सकें।
जनस्वास्थ्य की सुरक्षा और भविष्य की रणनीति
वहीं दूसरी ओर, शिकायतकर्ता योगेंद्र कुमार सिंह ‘योगी’ ने विभागीय कार्रवाई पर संतोष व्यक्त करते हुए इसे जनहित में आवश्यक कदम बताया है। उनका मानना है कि खाद्य सामग्री की बिक्री में पारदर्शिता और स्वच्छता अत्यंत अनिवार्य है और बिना मानकों के मांस की बिक्री से बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। खाद्य सुरक्षा अधिकारी मनोज कुमार गोंड ने स्पष्ट कर दिया है कि यह अभियान मात्र सांकेतिक नहीं है। उन्होंने संकेत दिया कि भविष्य में भी ऐसे प्रतिष्ठानों के विरुद्ध निरंतर छापेमारी की जाएगी जो बिना पंजीकरण या लाइसेंस के खाद्य पदार्थों का व्यापार कर रहे हैं। प्रशासन का मुख्य उद्देश्य जिले के नागरिकों को सुरक्षित, स्वच्छ और मानक युक्त खाद्य सामग्री की उपलब्धता सुनिश्चित कराना है।
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