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शहाबगंज में मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह: 50 जोड़ों ने लिए फेरे, विधायक बोले- यह सामाजिक समानता की मिसाल

चंदौली के शहाबगंज विकास खंड परिसर में 50 गरीब जोड़ों का सामूहिक विवाह संपन्न हुआ। विधायक कैलाश आचार्य ने इसे सामाजिक समानता की मिसाल बताया। जोड़ों को उपहार सामग्री और ₹60 हजार प्रोत्साहन राशि मिली, जिससे वे बिना कर्ज लिए नया जीवन शुरू कर पाए।
 

शहाबगंज में 50 जोड़ों का सामूहिक विवाह


सामाजिक समानता और सहयोग की मिसाल


बिना आर्थिक बोझ के गरीब कन्याओं का विवाह संपन्न


नवविवाहितों को मिली  ₹60 हजार की प्रोत्साहन राशि


चकिया विधायक कैलाश आचार्य ने दिया सबको आशीर्वाद

चंदौली जिले के शहाबगंज विकास खंड कार्यालय परिसर में शुक्रवार का दिन मानवीय संवेदना और सामाजिक सहयोग की एक अविस्मरणीय घटना का साक्षी बना। मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना के तहत एक ही मंडप तले 50 जोड़ों के विवाह संपन्न हुए। यह समारोह केवल एक सरकारी योजना का क्रियान्वयन मात्र नहीं था, बल्कि उन गरीब परिवारों की भावनाओं, संघर्षों और उम्मीदों का एक अद्भुत संगम था, जिन्होंने बिना किसी भारी-भरकम आर्थिक बोझ के अपने बच्चों के जीवन में खुशियों का उजाला लाने का सपना संजोया था।

Shahabganj mass marriage scheme  social equality marriage event  50 couples tied knot

सादगी और गरिमा का संगम
सुबह से ही विकास खंड कार्यालय परिसर में उत्सव का माहौल बन गया था। रंग-बिरंगी साड़ियों में सजी दुल्हनें और साफा पहने दूल्हे व उनके मेहमानों की मुस्कानें पूरे माहौल को खुशनुमा बना रही थीं। विकास खंड कार्यालय की ओर से लगाए गए पंडालों में विवाह की हर सुविधा सुनिश्चित की गई थी। चेंजिंग रूम, मेहमानों के लिए उत्तम बैठक व्यवस्था, भोजन, चिकित्सा सहायता और विवाह संपन्न कराने के लिए पंडितों की अलग-अलग टीम मौजूद थी।

वैदिक मंडपों में मंत्रोच्चारण के बीच जोड़ों ने क्रमवार सात फेरे लिए। सादगीपूर्ण व्यवस्था के बावजूद, समारोह की गरिमा में कोई कमी नहीं थी। इस दौरान, तीन मुस्लिम जोड़ों का निकाह भी कलमा पढ़कर संपन्न कराया गया, जिसने इस आयोजन को सामाजिक समरसता की अनोखी मिसाल बना दिया।

वरदान बनी सरकारी योजना
सामूहिक विवाह में शादी कर रहे एक युवक ने नाम न छापने की शर्त पर अपनी भावनाएं व्यक्त करते हुए कहा कि, "भैया, मन तो करता था कि शादी धूमधाम से करूं, घोड़ी, बैंड-बाजा सब हो, लेकिन घर की आर्थिक स्थिति ने मन रोक दिया। सरकार की इस योजना ने बोझ कम कर दिया। अब लग रहा है कि बिना कर्ज लिए भी जीवन की नई शुरुआत हो सकती है।" उन्होंने यह भी जोड़ा कि सामूहिक विवाह को लेकर समाज में अब जो सकारात्मक सोच बनी है, वह गरीब परिवारों के लिए किसी वरदान से कम नहीं।

समारोह में शामिल एक वृद्ध महिला अपनी बेटी की शादी होते देख भावुक हो उठीं। उन्होंने आंसू पोंछते हुए कहा कि "हम अकेली कमाने वाली हैं। सोचते थे कैसे शादी करेंगे। लेकिन जब कागज जमा किए और मंजूरी मिल गई तो लगा कि मानो भगवान ने ही रास्ता खोल दिया। आज मेरी बेटी दुल्हन बनी है, इससे बड़ा सुख क्या होगा।"

 सामाजिक समानता का संदेश
समारोह में हर नवविवाहित जोड़े को सरकारी सहायता के तहत उपहार सामग्री दी गई, जिसमें बिस्तर, बर्तन, कपड़े, साड़ी-सूट और आवश्यक गृहस्थ सामग्री शामिल थी। इस सहायता के साथ ही, बढ़ी हुई ₹60 हजार की धनराशि उनके खाते में भेजी जाएगी। कई नवविवाहित जोड़ों ने दोहराया कि ये वस्तुएं यदि उन्हें स्वयं खरीदनी पड़तीं, तो उनके लिए शादी करना और भी कठिन हो जाता।

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित क्षेत्रीय विधायक कैलाश आचार्य, पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष सरिता सिंह, खंड विकास अधिकारी दिनेश सिंह, प्रमुख प्रतिनिधि राकेश सिंह और अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने जोड़ों को आशीर्वाद दिया। विधायक कैलाश आचार्य ने अपने संबोधन में कहा कि "सामूहिक विवाह केवल आर्थिक सहायता का माध्यम नहीं, बल्कि सामाजिक समानता और सहयोग की मिसाल है। हमारे समाज में विवाह को अत्यधिक दिखावे का माध्यम बना दिया गया है, जिसके कारण गरीब परिवारों को भारी आर्थिक दबाव झेलना पड़ता है। सामूहिक विवाह ऐसी सोच को बदलने का प्रयास है।"

दोपहर बाद, दूल्हा-दुल्हन और उनके परिवारों के लिए साधारण लेकिन स्वादिष्ट भोजन (दाल, सब्जी, पूरी, मिठाई और सलाद) की व्यवस्था की गई थी। वर-वधू अपने हाथों में उपहार और दिलों में नई उम्मीदें लिए पंडाल से बाहर निकल रहे थे, यह भरोसा लेकर कि जीवन की शुरुआत बिना आर्थिक बोझ के भी खूबसूरत हो सकती है। इस कार्यक्रम ने एक बड़ा संदेश दिया कि भव्यता ही विवाह की पहचान नहीं, बल्कि एक-दूसरे के प्रति सम्मान, सामाजिक सहयोग और संवेदनाएं ही एक शादी को खूबसूरत बनाती हैं।

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