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शिकारगंज सहकारी समिति पर यूरिया के लिए हाहाकार: महज 2-2 बोरी खाद के लिए दिनभर कतार में खड़े रहे किसान

चंदौली के शिकारगंज में यूरिया खाद की भारी किल्लत ने किसानों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। सहकारी समिति पर खाद आने की सूचना मिलते ही उमड़ी भीड़ को नियंत्रित करने के लिए महज 2-2 बोरी का वितरण किया गया, जिससे नाराज किसानों ने जमकर हंगामा किया।

 
 

शिकारगंज में यूरिया खाद की भारी किल्लत

सहकारी समिति पर उमड़ी किसानों की भारी भीड़

सिर्फ दो-दो बोरी यूरिया मिलने से नाराजगी

गेहूं की बुवाई के समय खाद संकट गहराया

खाद न मिलने पर किसानों का जमकर हंगामा

चंदौली जिले में रबी सीजन की मुख्य फसल गेहूं की बुवाई का काम जोरों पर है, लेकिन किसानों के लिए यूरिया खाद की अनुपलब्धता एक बड़ी चुनौती बनकर उभरी है। विशेषकर शिकारगंज इलाके में खाद की भारी किल्लत देखी जा रही है, जिससे किसान खाद पाने के लिए दर-दर भटकने को मजबूर हैं। रबी की फसल के इस महत्वपूर्ण चरण में यूरिया का न मिलना किसानों की फसल और उनकी आर्थिक स्थिति के लिए चिंता का विषय बन गया है।

सहकारी समिति पर उमड़ी किसानों की भारी भीड़
 बुधवार को शिकारगंज स्थित प्राथमिक ग्रामीण सहकारी समिति पर जैसे ही खाद पहुंचने की सूचना मिली, आस-पास के गांवों से सैकड़ों किसान वहां जमा हो गए। किसानों को उम्मीद थी कि इस बार उन्हें बुवाई के लिए पर्याप्त खाद मिल जाएगी, लेकिन वास्तविकता इसके विपरीत रही। सुबह से ही समिति परिसर में लंबी कतारें लग गईं और देखते ही देखते किसानों की संख्या इतनी बढ़ गई कि वहां की व्यवस्था संभालना प्रशासन और समिति के कर्मचारियों के लिए मुश्किल हो गया।

सीमित स्टॉक के कारण मचा हंगामा 
सहकारी समिति के पास उपलब्ध स्टॉक मांग की तुलना में बेहद कम था। जानकारी के अनुसार, गोदाम में कुल 333 बोरी यूरिया खाद ही उपलब्ध थी, जबकि खाद लेने पहुंचे किसानों की संख्या इससे कहीं अधिक थी। खाद की भारी कमी को देखते हुए समिति के सचिव उदय नारायण यादव ने बीच का रास्ता निकालने की कोशिश की और घोषणा की कि प्रत्येक किसान को केवल दो-दो बोरी यूरिया ही दी जाएगी। इस फैसले से उन किसानों में भारी रोष फैल गया जिन्हें अपनी बड़ी जोत के लिए अधिक खाद की आवश्यकता थी।

प्रशासनिक प्रयास और किसानों की नाराजगी 
खाद वितरण के दौरान मची अफरा-तफरी और हंगामे को शांत करने के लिए सचिव ने किसानों को समझाने का प्रयास किया कि स्टॉक सीमित होने के कारण सबको समान रूप से खाद बांटने का यही एकमात्र तरीका है। इसके बावजूद, स्टॉक खत्म होने के कारण दर्जनों किसानों को मायूस होकर खाली हाथ लौटना पड़ा। किसान जगरोपन मौर्य, बाबूलाल, सुरेश कुमार और रमेश कुमार ने अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए कहा कि फसल की शुरुआती बढ़वार के लिए यूरिया बेहद जरूरी है और समय पर खाद न मिलने से पैदावार पर सीधा असर पड़ेगा।

सिस्टम की विफलता पर उठते सवाल 
क्षेत्र के किसानों का आरोप है कि खाद की यह समस्या कोई नई नहीं है; हर साल बुवाई के पीक सीजन में उन्हें इसी तरह की किल्लत का सामना करना पड़ता है। किसानों ने प्रशासन से मांग की है कि खाद की कालाबाजारी पर रोक लगाई जाए और सहकारी समितियों पर पर्याप्त मात्रा में खाद की आपूर्ति सुनिश्चित की जाए। फिलहाल, शिकारगंज और आसपास के ग्रामीण इलाकों में यूरिया को लेकर हाहाकार मचा हुआ है और किसान अगली खेप आने के इंतजार में टकटकी लगाए बैठे हैं।

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