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पुश्तैनी मकान से बेदखल किए जाने के बाद परिवार सहित दर-दर के ठोकरे खाने को विवश है शिवचंद

 शिवचंद तथा उसकी पत्नी का कहना है कि दो वर्ष से ज्यादा समय बीत गया लेकिन आज तक न्याय नहीं मिला। जिससे वह पत्नी और बच्चों के साथ अन्य जगह शरण लेकर किसी तरह जीवन यापन करने को मजबूर है।
 

बरहुआ गांव के शिवचंद को पुश्तैनी मकान से पुलिस ने बाहर निकाल दिया

4 दशकों से कब्जे वाली भूमि पर अब नहीं रहा अधिकार

राजस्व अभिलेखों में दर्ज है शिवचंद के नाम पर भूमि का पट्टा

आराजी संख्या की गलती दिखाकर कराया गया जबरन बेदखली

चंदौली जिला के चकिया तहसील अन्तर्गत बरहुआ गांव निवासी शिवचंद पिछले वर्षों से ही पुस्तैनी काबिज भूमि में मकान से परिवार सहित बेदखल किए जाने के बाद न्याय के लिए दर दर की ठोकरे खाने को दंपति भटक रहे है। तहसील तथा जिला प्रशासन से गुहार लगाकर थक चुके शिवचंद ने मुख्यमंत्री पोर्टल पर अपनी फरियाद दर्ज कराई है।

house in barahua

  बताते चलें कि शिवचंद के पूर्वजों द्वारा बरहुआ गांव के आराजी नंबर 149 बंजर की भूमि में कब्जा करके रहते चले आ रहे थे। पुश्तैनी बंजर बंजर भूमि में शिवचंद मकान बनाकर चार दशक पूर्व से परिवार और बच्चों के साथ रहता था। उक्त भूमि का पट्टा भी उसी के नाम से है। जिसका अभिलेख राजस्व विभाग में दर्ज है। इसके बावजूद उसके आराजी नंबर 149 की भूमि को 148 बताकर पिछले वर्ष शिवचंद के घर न रहने पर पत्नी और बच्चों को पुलिस प्रशासन द्वारा बाहर निकाल कर समान खाली करा दिया गया। और मकान पर अपना ताला लटका दिया गया। 

house in barahua

जबकि भूमि से बेदखल होने के बाद तत्कालीन लेखपाल द्वारा उक्त भूमि को 149 नंबर होने के लिए सत्यापित भी किया गया है। भूमि से दखल होने के बाद से आज तक शिवचंद और उसका परिवार न्याय के लिए तहसील से लेकर जिला प्रशासन तक का दरवाजा खटखटाकर थक चुका है‌।

 शिवचंद तथा उसकी पत्नी का कहना है कि दो वर्ष से ज्यादा समय बीत गया लेकिन आज तक न्याय नहीं मिला। जिससे वह पत्नी और बच्चों के साथ अन्य जगह शरण लेकर किसी तरह जीवन यापन करने को मजबूर है।

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