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श्रीमद्भागवत कथा में श्रीकृष्ण रुक्मिणी विवाह प्रसंग ने श्रद्धालुओं को किया भावविभोर

 कथावाचक कहते हैं कि भगवान ये कहना चाहते हैं कि भक्त और भगवान में सिर्फ दो अंगुल का फासला है। वह प्रेम है जिसमें भगवान को कोई भी बांध सकता है।
 

बरहुआ गांव में श्रीमद्भागवत कथा का छठवां दिन

कथा में श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का हुआ भावपूर्ण वर्णन

श्रीकृष्ण-रुक्मिणी विवाह कथा सुनकर श्रोता हुए भावविभोर

चंदौली जिला के शहाबगंज विकासखंड अंतर्गत बरहुआ गांव में आयोजित संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा के छठवें दिन पंडित राधारमणाचार्य जी ने बाल लीलाओं का वर्णन करते हुए कहा कि गोपिया जब यमुना नदी में स्नान कर रही थी तो भगवान श्री कृष्ण ने उनका चीर हरण का लीला किया।

 पंडित राधारमणाचार्य कहते हैं कि कभी माखन चोरी तो कभी चीर हरण जैसे एक से एक लीला करने वाले कन्हैया की बार-बार शिकायत पर माता यशोदा उन्हें ओखल में रस्सी से बांध रही थी तब भगवान वहां भी लीला कर रहे थे और मैया यशोदा को उलझाते रहे। जब जब वह रस्सी बढ़कर बांधने का प्रयास करती रस्सी बार-बार दोअंगुल छोटी हो जाती थी। जब माता यशोदा थक जाती हैं तो वे राधा द्वारा दी गई रस्सी से बध जातें है।

Shrimad bhagwat katha

 कथावाचक कहते हैं कि भगवान ये कहना चाहते हैं कि भक्त और भगवान में सिर्फ दो अंगुल का फासला है। वह प्रेम है जिसमें भगवान को कोई भी बांध सकता है। इसी प्रकार भगवान श्री कृष्ण ने इंद्र भगवान के घमंड को तोड़ा और इंद्र के जगह गोवर्धन का पूजा कराया, अपनी लीलाओं में उन्होंने यमुना में गेद को फेंक कर उसे ढूंढ कर लाने के बहाने कालिया नाग के घमंड को तोड़ा और उसे वहां से हटाया।

Shrimad bhagwat katha

उसके बाद रुक्मणी विवाह का प्रसंग सुनते हुए कथावाचक पंडित राधारमणाचार्य ने कहा कि रुक्मणी विदर्भराज भिष्मक की पुत्री है। रुक्मी, रूक्मिणी का विवाह शिशुपाल के साथ करना चाहता है लेकिन रुक्मणी श्रीकृष्ण से विवाह करना चाहती है। और रुक्मणी का विवाह श्रीकृष्ण से उनकी इच्छा अनुसार हुआ। क्योंकि रुक्मिणी स्वयं उन्हें पति के रूप में स्वीकार करना चाहती थी। उन्होंने एक पत्र के माध्यम से श्रीकृष्ण को अपनी भावनाएं बताईं। जिसे भगवान ने स्वीकार किया और रथ लेकर रुक्मणी का हरण कर लिया जब इस बात की खबर रुक्मी को हुआ तो उसने भगवान पर आक्रमण कर दिया तब भगवान ने उसे पराजित कर रुक्मणी से विवाह किया।

 कथा में राजेंद्र सिंह मौर्य, मालती देवी, दिलीप दुबे, अद्भुत नारायण दूबे, पुर्व प्रधान राम किशुन, विमल कुमार मौर्य, रामविलास विश्वकर्मा, गौरी सेठ,जलज कुमार, दीना, चंद्रकला, मुन्नी ,गीता, आरती, सावित्री देवी, उषा, निर्मला देवी,  सुनीता देवी, श्रद्धा, साजू, प्रवीण गुप्ता, आशु मौर्य, संगम, सहित अन्य श्रद्धालुओं ने कथा का रसपान किया।

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