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ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी-4 पर आइपीएफ ने उठाये सवाल, दारापुरी बोले - ये है केवल कॉर्पोरेट मॉडल

2018 में हुए इन्वेस्टर समिट में 4 लाख 28 हजार के एमओयूज साइन किए गए थे लेकिन सरकारी आंकड़ो के अनुसार 50 हजार करोड़ का निवेश हुआ वह भी अनुत्पादक रियल एस्टेट जैसे क्षेत्र में ही हुआ है।
 

कारपोरेट्स के लिए रेड कार्पेट विकास माडल

इससे प्रदेश की जनता की भलाई नहीं

पूरी दुनिया में फेल हो चुका है यह माडल

चंदौली जिले के चकिया में एस आर दारापुरी ने योगी सरकार के निवेश के दावे और मॉडल पर सवाल उठाया। इस दौरान सवाल पूछा कि 10-12 फरवरी 2023 को ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के आयोजन में 40 लाख करोड़ रुपए के निवेश समझौतों के एक साल बाद 19 फरवरी से आयोजित ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी-4 का क्या औचित्य है।

सरकार के भौकाल बनाने वाले काम पर सवाल खड़ा करते हुए आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट (आइपीएफ) के राष्ट्रीय अध्यक्ष एस. आर. दारापुरी ने कहा कि सरकार को प्रदेश की जनता को यह बताना चाहिए कि एक साल की अवधि में प्रस्तावित प्रोजेक्ट्स में धरातल पर निवेश क्यों नहीं हुआ। ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी-4 और इसके पूर्व के आयोजन में अरबों रुपए सरकारी संसाधनों का अपव्यय कथित उपलब्धियों के प्रोपेगैंडा के लिए है, जिसमें आंकड़ेबाजी ही ज्यादा है।

ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी-4 को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था 10 खरब डालर (एक ट्रिलियन डॉलर) बनाने के लिए यह महत्वपूर्ण कदम है, लेकिन अभी प्रदेश की अर्थव्यवस्था करीब 3 खरब डॉलर की ही है, इससे सहज अंदाजा लगाया जा सकता हैं कि सरकारी प्रोपेगैंडा की असलियत क्या है। दरअसल वास्तविकता यह है कि 2017 से ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी 1, 2 व 3 और  इन्वेस्टर समिट  से उल्लेख लायक न तो निवेश हुआ और न ही रोजगार सृजन, जैसा कि बढ़ा-चढ़ाकर कर दावा किया गया।

2018 में हुए इन्वेस्टर समिट में 4 लाख 28 हजार के एमओयूज साइन किए गए थे लेकिन सरकारी आंकड़ो के अनुसार 50 हजार करोड़ का निवेश हुआ वह भी अनुत्पादक रियल एस्टेट जैसे क्षेत्र में ही हुआ है। प्रदेश में स्टार्टअप में भी कुछ हजार ही रजिस्ट्रेशन हुआ है। दरअसल प्रदेश जबरदस्त आर्थिक संकट का सामना कर रहा है।

 2024-25 के 7 लाख 36 हजार करोड़ के बजट के सापेक्ष 8 लाख 17 हजार करोड़ कर्ज है। बजट का बड़ा हिस्सा लिए गए कर्जो के ब्याज के भुगतान में जा रहा है। जनोपयोगी सभी मदों में कटौती की जा रही है। स्थिति इतनी बुरी है कि प्रदेश से न सिर्फ मजदूरों का बड़े पैमाने में पलायन हो रहा है बल्कि प्रदेश के बैंकों में जमा जनता की पूंजी का भी 60 प्रतिशत हिस्सा विकसित राज्यों में चला जा रहा है।
          
आगे उन्होंने कहा कि कारपोरेट्स के लिए रेड कार्पेट विकास माडल से प्रदेश की भलाई नहीं हो सकती, विकास का यह माडल पूरी दुनिया में फेल हो चुका है। इसलिए कृषि, छोटे-मझोले उद्योगों, सहकारिता क्षेत्र को प्रोत्साहन, हर परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी जैसे उपायों से ही प्रदेश का विकास व बेकारी का सवाल हल किया जा सकता है।

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