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भोर में ही सत्तू और नमक की पोटली लेकर घर से निकल गए मतदाता, तब जीता है चकिया

यह मतदान का उत्साह ही था कि नौगढ़ के जंगलों में रहने वाले वनवासियों ने पहाड़ियों पर उछल कूद करके पगडंडियों के रास्ते 15 किलोमीटर पैदल चलकर मतदान केंद्र पर पहुंचे और अपने मत का इस्तेमाल किया। ‌
 

पहाड़ियों में चलते रहे चार  घंटे

मतदान के लिए पहाड़ियों में  पैदल तय की 30 किलोमीटर की दूरी

पढ़े लिखे और बाजारू मतदाताओं को जंगल के लोगों ने पछाड़ा 

चंदौली जिले में यह मतदान का उत्साह ही था कि नौगढ़ के जंगलों में रहने वाले वनवासियों ने पहाड़ियों पर उछल कूद करके पगडंडियों के रास्ते 15 किलोमीटर पैदल चलकर मतदान केंद्र पर पहुंचे और अपने मत का इस्तेमाल किया। ‌ इसके बाद दोबारा फिर से धूप में ही पैदल चलकर अपने घरों को वापस लौटे। 


सात ही बताया कि परिवार की महिलाएं भी उनके साथ उत्साह पूर्वक वोट डालने आयीं थीं। इस दूरी को तय करने में उन्हें तीन से चार घंटे का वक्त लगा। वहीं बाघी पंचायत के कोठी घाट बस्ती के लोगों ने नाव से कर्मनाशा नदी को पार करके मतदान किया। इसी की बदौलत पूरे पूर्वांचल में चकिया विधानसभा सीट जो सबसे पिछड़ा जाना जाता है। वहां वोटिंग प्रतिशत सबसे ज्यादा रहा। 

तहसील नौगढ़ में वनवासी जंगलों में डेरे बनाकर अपने परिवारों के साथ रहते हैं। शनिवार को इन वनवासियों ने भी पूरे उत्साह के साथ भागीदारी की। इसके लिए उन्हें जंगल में 15 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ा। वह अपने परिवार की महिलाओं को बनाए गए मतदान केंद्र पर लेकर पहुंचे, जहां उन्होंने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। वनवासी रामविलास खरवार और शंकर खरवार ने बताया कि उन्होंने सुरक्षा और विकास के नाम पर वोट दिया है। अपने वोट को डालकर आज हम बहुत खुश हैं। 


वनवासी समाज से दूर जंगल में रहते हैं। देश, प्रदेश की राजनीति में कौन से नेता और दल सक्रिय है, उन्हें उनकी पूरी जानकारी है। होरिला गांव के राम भवन विश्वकर्मा ने बताया कि 15 किलोमीटर का सफर तीन घंटे में तय करके बूथ पर पहुंचे हैं। भोर में ही हम लोग नमक और सत्तू की पोटली लेकर घर से वोट डालने के लिए चल दिए थे।

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