लाखों खर्च कराने के बाद भी खाली पड़े इंजीनियरों के आवास, इलाके के किसान हैं बेहाल और अधिकारी रहते हैं नदारद

1.34 करोड़ की लागत से हुआ भवन का कायाकल्प
फिर भी अफसर रहने के बजाय अक्सर रहते हैं गायब
शहरों में रह रहे अभियंता सिर्फ आदेश देने आते हैं दफ्तर
किसान काट रहे हैं खाली कार्यालय के चक्कर
नहरों और बांधों की मरम्मत के लिए नहीं सुनवाई1
चंदौली जिले के चकिया में सिंचाई विभाग के इंजीनियर आवास जर्जर होने का बहाना बनाकर कार्यालय में बैठने व आवास में रहने से कतराते रहे। लेकिन, मरम्मत के बाद भी अब यहां रहना उचित नहीं समझ रहे हैं। बात कर रहे हैं नगर स्थित सिंचाई विभाग के कार्यालय व इंजीनियरों के रहने के लिए बने आलीशान आवास की।

आपको बता दें कि एक करोड़ 34 लाख की लागत से कार्यालय सहित आवास का कायाकल्प होने के बाद भी अधिकारी नहीं रह रहे हैं। किसान नहरों, माइनरों की जर्जर हालत, बांध से लीकेज हो रहे पानी जैसी समस्या से निजात पाने के लिए कार्यालय का रोज चक्कर लगा रहे हैं। लेकिन, विभागीय अधिकारी मिल ही नहीं रहे हैं।
चंद्रप्रभा व कर्मनाशा सिस्टम को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए बांध निर्माण के दौरान वर्ष 1955 में सिंचाई विभाग के अभियंताओं समेत कर्मचारियों के लिए भवन का निर्माण हुआ। सहायक अभियंता प्रथम व द्वितीय सहित दो जेई, पांच चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी व दो बाबू के लिए आवासीय सुविधा मुहैया कराई गई। पेयजल, बिजली समेत तमाम सुविधाओं व संसाधनों को उपलब्ध कराया गया। सहायक व अवर अभियंता यहां नहीं रहते हैं।

शहरों, महानगरों में परिवार रखकर गाहे बगाहे आकर अधीनस्थों को हुक्म देने में लग गए। इंजीनियरों का बहाना रहा की आवास जर्जर हो गए हैं। इनकी मरम्मत के लिए शासन ने धन अवमुक्त किया। लगभग एक वर्ष में कार्यालय व आवास का कायाकल्प मार्च के अंत तक पूर्ण हो गया।
विभाग ने सहायक अभियंता प्रथम राकेश तिवारी को द्वितीय तल, प्रथम तल सहायक अभियंता द्वितीय ऋषभराय व जेई कविराज व मनिराज को आवंटित कर दिया। किसानों का कहना है कि अभियंताओं के नहीं ठहरने से परेशानी होती है।
इस संबंध में उप जिलाधिकारी विकास मित्तल ने बताया कि सिंचाई विभाग कार्यालय में अधिकारियों के समय से नहीं बैठने, आवासीय सुविधा से परहेज करने की शिकायत मिली है, जांच कर विभागीय कार्रवाई की जाएगी। साथ ही किसानों की समस्या से निजात दिलाने का हर संभव प्रयास किया जाएगा।
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